टिकट बेचकर बिना यात्रा करवाए रेलवे फ्री में कमा रहा सालाना 26 सौ करोड़ रुपए
भारतीय रेलवे ने यात्रियों को टिकट बेचकर यात्रा करवाए बिना ही पिछले तीन साल में 8 हजार करोड़ की कमाई कर ली है. यानी हर साल 2600 करोड़ रुपए से भी ज्यादा. रेलवे ने यह रकम रिजर्वेशन कैंसिलेशन, विंडो वेटिंग टिकट, आंशिक कन्फर्म ई-टिकट के कैंसल न होने पर कमाया है.
यह खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पीएमओ मांगी गई जानकारी से. यह जानकारी राजस्थान के कोटा निवासी सुजीत स्वामी ने हासिल की है. वे सरकारी कर्मचारी होने के साथ-साथ ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट भी हैं और इन दिनों हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में कार्यरत हैं.
सुजीत ने बताया कि रेलवे के विंडो वेटिंग टिकटों के कैंसिलेशन नियम ऐसे हैंं कि हर साल करोड़ाें यात्री अपने टिकट कैंसल नहीं करा पाते. यात्रियों को विंंडो वेटिंग टिकट कैंसल कराने के लिए ट्रेन छूटने से मात्र आधे घंटे पहले का समय मिलता है. इसी तरह बड़ी संंख्या में यात्री विंंडो और ऑनलाइन कन्फर्म टिकट कैंसल नहीं करवा पाते. गत तीन वर्षों में लगभग 8 करोड़ 89 लाख 24 हजार 414 यात्री ऐसे थे, जिन्होंंने टिकट ख्ारीदने के बाद यात्रा नहीं की और वे अपना टिकट कैंसल भी नहीं करवा सके. ऐसे टिकटों से रेलवेे काे करीब 8 हजार करोड़ की आय हुई.
सुजीत ने बताया कि उन्होंने विंडो रिजर्वेशन टिकट के फॉर्म को भी रीडिजाइन कर रेलवे को भेजा था. फॉर्म में बैंक अकाउंट नंबर लिखने का प्रावधान था ताकि यात्रा न कर पाने या फिर टिकट कैंसल होने की स्थिति में पैसा सीधा यात्री के बैंक खाते में आ जाए, लेकिन रेलवे ने इस सुझाव को मानने से इंकार कर दिया.
अब सुजीत स्वामी इस पूरे मामले को राजस्थान के जयपुर हाईकोर्ट में ले जाने का मन बना रहे हैं. सुजीत स्वामी वहां पर एक जनहित याचिका दायर करेंगे, ताकि रेलवे को लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने से रोका जा सके. सुजीत स्वामी का कहना है कि जिस पैसे पर रेलवे का अधिकार है, उसे वह अपने पास रखे लेकिन जिस पर उसका अधिकार नहीं, उसे जनता को वापस किया जाए.