डेरामुखी को पैरोल के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे वकील, लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स ने किया विरोध
हरियाणा सरकार द्वारा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल पर जेल से रिहा कराने की कोशिशों का लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल की ओर से विरोध किया गया है। संस्था ने चेतावनी दी है कि अगर डेरामुखी को पैरोल दी गई तो इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। संस्था के महासचिव और हाईकोर्ट के एडवोकेट नवकिरण सिंह ने शनिवार को एक प्रेसवार्ता में कहा कि अगर एक बार डेरा मुखी डेरे में प्रवेश कर गया तो उसे बाहर लाना संभव नहीं है।
जबकि उसके विरुद्ध दर्ज मुकदमे और सजा इस बात का प्रमाण है कि वह सीरियल अपराधी है। नवकिरण ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी डेरामुखी को मौड़ बम धमाके और बेअदबी मामले में बचाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि भले ही सजा के एक साल बाद खेती के आधार पर पैरोल मांगना कैदी का अधिकार है लेकिन डेरामुखी के नाम पर जमीन ही नहीं है। जमीन तो डेरे और ट्रस्ट के नाम है।
जहां तक जेल में अच्छे व्यवहार के आधार की बात है, डेरामुखी पर यह सही नहीं लगती क्योंकि पंचकूला में डेरामुखी को सजा सुनाने के वक्त जो हिंसा हुई और डेरा मुखी को भगा ले जाने की जो कोशिश की गई और हनीप्रीत को फरार कराया गया।
डेरे का मुख्य प्रवक्ता आज तक फरार है। इससे साबित होता है कि डेरा मुखी का व्यवहार अच्छा नहीं है। डेरामुखी के खिलाफ अभी दो केस पेंडिंग हैं और दुराचार के दो और हत्या के एक केस में ही सजा सुनाई गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में डेरामुखी का बाहर आना गवाहों पर दबाव डालकर उन्हें पेंडिंग केसों में मुकरने पर मजबूर कर सकता है।
आज सरकार द्वारा आयोजित किसी भी धार्मिक कार्यक्रमों में साधु-संतों को नहीं बुलाया जाता है, जिससे प्रदेश के संत समाज में सरकार के प्रति भारी रोष है। उन्होंने कहा कि 16 जून को कबीर जयंती पर जींद में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ था लेकिन भाजपा ने उस कार्यक्रम में साधु संतों को न बुलाकर सिर्फ अपने विधायकों, मंत्रियों तक ही सीमित रखा।