डोकलाम पर ऑस्ट्रेलिया में चीनी धनिकों ने किया भारत विरोधी कार प्रदर्शन

डोकलाम सीमा विवाद पर बढ़ती चीनी बौखलाहट के बीच एक अजीब विरोध प्रदर्शन का नज़ारा ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में 15 अगस्त को नज़र आया. भारत के स्वाधीनता दिवस के मौके पर ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बसे चीनी नागरिकों ने महंगी रेसिंग कारों पर चीन के झंडे और डोकलाम विवाद के पोस्टर लगाकर शहर में रैली निकाली.

बीएमडब्लू, बेंटले, फ़र्रारी, लुबभरगिनी जैसी कारों के साथ निकली यह रैली सिडनी के विश्वविद्यालयों से होते हुए भारतीय वाणिज्य दूतावास तक पहुंची. स्थानीय चीनी अखबार सिडनी जिंरिओझाओ(सिडनी टुडे) में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चीनी मूल के लोगों के एक ऑटोमोबाइल क्लब द्वारा आयोजित रैली में इन सुपर कार चालकों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर गाड़ियां रोक अपनी कारों की रेस बढ़ाकर विरोध भी जताया. हालांकि स्वतंत्रता दिवस होने के कारण भारतीय वाणिज्य दूतावास में उस दिन छुट्टी थी. करीब चार घंटे तक ये कारें सिडनी की सड़कों पर दौड़ती रही. रैली हार्बर ब्रिज पर खत्म हुई.

सिडनी जिंरिओझाओ के मुताबिक भारत के स्वाधीनता दिवस पर आयोजित इस चीनी विरोध रैली में कारों पर पोस्टर भी लगाए गए थे जिपर ,‘बॉर्डर इस आवर बेस लाइन’, ‘चाइना : नॉट एन इंच लेस’, जैसे नारे लिखे गए थे.

भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार जितार्थ भारद्वाज इसे एक चौंकाने वाली घटना करार देते हैं. उनका कहना है कि भारत और चीन दोनों बड़े मुल्क है और उनके द्विपक्षीय सीमा विवादों को स्थानीय स्तर पर सुलझाने का प्रयास होना चाहिए. ऐसे विवादों को दूसरे किसी देश में ले जाने की कोशिश समाधान को अधिक कठिन ही बनाएगी.

 

यह संदेहास्पद संयोग है कि 15 अगस्त को ही लद्दाख के पेंगोंग झील इलाके में चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर करने की कोशिश की और दोनों सेनाओं के बीच झड़प भी हुई जिसमें पत्थरबाज़ी के कारण दोनों तरफ के सैनिकों को कुछ चोटें भी लगी. इसके अलावा 15 अगस्त को ही चीनी कंपनी हुआवेई ने अपनी ईरान इकाई से 30 भारतीयों को महज एक दिन का नोटिस देकर हटाने का फैसला सुनाया. यह बात अलग है कि हुआवेई मामले में भारतीय दूतावास के दखल के बाद 30 भारतीयों की नौकरी बचाई जा सकी.

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