तिलक लगाना धर्म ही नहीं लाभ का विज्ञान भी
माथे पर भौहों के बीच में जिस जगह तिलक लगाया जाता है, वहां आज्ञाचक्र होता है। आज्ञाचक्र हमारे शरीर में उपस्थित 7 चक्रों में से एक है।
बायॉलजी के अनुसार इस जगह पर पीनियल ग्रन्थि होती है। जब पिनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तिष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है।
मस्तिष्क में महसूस होने वाले इस प्रकाश की अनुभूति को प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया जा चुका है। हमारे ऋषि-मुनियों का ज्ञान आज के विज्ञान से कहीं आगे था।
ऋषि-मुनि जानते थे कि पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा। इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना और शुभकार्य करने से पहले टीका लगाने का प्रचलन हिंदू धर्म में है।
तंत्र शास्त्र में माथे को इष्ट का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में हर समय इष्ट देव के स्मरण और शरीर में फैली चेतना को एक जगह केंद्रित करने के लिए तिलक लगाया जाता है।
मनोविज्ञान के अनुसार भी तिलक लगाने का अपना महत्व है। माथा चेहरे का केंद्रिय भाग होता है, जहां सबकी दृष्टि अटकती है। तिलक के माध्यम से इस दृष्टि को बांधे रखने का प्रयास किया जात है।