तेजाब कांड: शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार
पटना . बिहार के बहुचर्चित तेजाब कांड में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को पटना हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। हाई कोर्ट ने सिवान की विशेष अदालत के फैसले को जारी रखते हुए शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। इसी मामले में फिलहाल शहाबुद्दीन दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सिवान की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए शहाबुद्दीन के वकील ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 30 जून को सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जाकर सुनाया गया।
क्या है मामला?
करीब 13 साल पहले सिवान के कारोबारी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदाबाबू के दो बेटों की हत्या तेजाब से नहलाकर कर दी गई थी। इस मामले में स्पेशल कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दोषी ठहराया था। अदालत ने शहाबुद्दीन को धारा 302, 201, 364 और 120B का दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
दरअसल, चंदाबाबू के गौशाला रोड में निमार्णाधीन मकान के विवाद के निपटारे को लेकर 16 अगस्त 2004 को पंचायती के दौरान शरारती तत्वों के आ जाने के कारण मारपीट शुरू हो गई और गृहस्वामी के परिजनों ने आत्मरक्षा में घर में रखे तेजाब का प्रयोग किया था। इस दौरान तेजाब फेंकने से कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इस घटना के प्रतिक्रिया स्वरूप उसी दिन व्यवसाई के दो पुत्रों गिरीश (24) और सतीश (18) का अपहरण हो गया और तेजाब से नहलाकर हत्या कर दी गई। इस मामले में अपहृतों की मां कलावती देवी के बयान पर दो नामजदों नागेंद्र तिवारी और मदन शर्मा के साथ चार–पांच अज्ञातों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
6 जून 2011 को अचानक गिरीश व सतीश के बड़े भाई राजीव रौशन ने कोर्ट में खुद को चश्मदीद गवाह बताया और विशेष अदालत में अपना बयान दर्ज कराया। उसने खुलासा किया कि अपहरण दो भाइयों का ही नहीं उसका (राजीव रौशन) भी किया गया था। उसके दोनों भाइयों की हत्या उसकी आंखों के सामने पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर में शाम के धुंधलके में तेजाब से नहलाकर की गई थी।
जब ये घटना हुई तब शहाबुद्दीन सिवान जेल में बंद था। राजीव रौशन ने दावा किया था कि उसके दोनों भाइयों की हत्या उनकी उपस्थिति में ही की गई। उन्होंने यह भी बताया कि वह किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा था और गोरखपुर में लुक छिपकर अपना गुजर–बसर कर रहा था। राजीव रौशन के इस बयान को तत्कालीन विशेष सत्र न्यायाधीश एसके पाण्डेय की अदालत ने विलंब से दिया बयान बताकर शहाबुद्दीन के खिलाफ मामला चलाने से इनकार कर दिया। बाद में पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर विशेष अदालत में एक मई 2014 को शहाबुद्दीन के विरुद्ध हत्या और षड्यंत्र को लेकर नए आरोपों का गठन किया गया। इसी बीच चश्मदीद राजीव रौशन की हत्या 16 जून 2014 को सिवान में गोली मारकर कर दी गई।