दिल्ली में 400 रुपये में बनते थे वीवीआईपी, अब हुआ बंद
केंद्र सरकार के लालबत्ती बंद करने से उन लोगों को धक्का लगा है जो बेहद सस्ते में अफसरी रौब और रुतबे का लुत्फ उठाते थे. इसके साथ ही दिल्ली में 400 से 500 रुपये में लालबत्ती बेचने वाले दुकानदारों का भी कारोबार ठप होने जा रहा है. देशभर में धड़ल्ले से वाहनों पर फर्जी लालबत्तियों का इस्तेमाल होता रहा है.
कश्मीरी गेट पर ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स मार्केटआॅटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स के बडे़ बाजारों में से एक है, यहां स्पेयर पार्ट्स और वाहनों के सजावटी सामान मिलने के साथ ही वाहनों पर लगाई जाने वाली लालबत्ती भी 400 से 500 रुपये में आसानी से मिल जाती है . इस लालबत्ती में नीचे चुंबक लगी रहती है जो आसानी से कार की छत पर चिपक जाती है. इसे लगाना और उतारना काफी आसान होता है. बिना तार वाली इस डुप्लीकेट लालबत्ती में भी कई श्रोणियां हैं.
नाम न बताने की शर्त पर स्पेयर पार्ट्स के एक विक्रेता ने बताया कि लालबत्ती को बेचना अभी कोई कानूनी जुर्म या प्रतिबंधित सामान में नहीं आता था. ऐसे में सभी विक्रेता लालबत्तियां बेचते रहे हैं.
लालबत्ती का इतिहास
कारों पर टिमटिमाती लालबत्ती जल्द ही इतिहास बनने जा रही है. रौब और रुतबे का पर्याय बन चुकी लालबत्ती के इस्तेमाल पर रोक लगने से न केवल दशकों पुराना वीवीआईपी कल्चर भी खत्म हो रहा है; आइए आपको बताते हैं ब्रिटेन से आकर भारत में वीवीआईपी रुतबे का पर्याय बन चुकी लालबत्ती के बारे में ….
लालबत्ती की शुरूआत संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 में हुई थी. अमेरिका में पुलिस की गाड़ियों पर लालबत्तियों का इस्तेमाल शुरु हुआ. 1930 तक ब्रिटेन और अन्य देशों में भी लालबत्ती का इस्तेमाल आपातकालीन सेवाओं में शुरु हुआ. धीरे धीरे ब्रिटेन और अमेरिका से भारत में भी लाल और नीली बत्ती का आयात होने लगा. विभिन्न देशों में कुछ विशेष वाहनों पर लाल बत्ती का उपयोग किया जाता था . यही प्रचलन भारत में आया और 1960 के बाद भारत में लालबत्ती का इस्तेमाल बढ़ने लगा.
दुरुपयोग के कारण संशोधित केंद्रीय मोटर व्हीकल एक्ट 1989 में किया प्रावधान
भारत में लालबत्तियों के बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए केंद्रीय मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के अधिनियम 108 के नियम तीन में सिर्फ कुछ संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों के लिए ही लालबत्ती का इस्तेमाल तय किया गया .
जॉन और जेम्स की कंपनी ने बनाई पहली घूमने वाली लालबत्ती
दो भाइयों जॉन और जेम्स गिलक्रिस्ट की इलिनॉय स्थित अमेरिकी कंपनी फेडरल साइन एंड सिग्नल कॉर्पोरेशन ने सन 1948 में पहली घूमने वाली लालबत्ती बनाई. यह बत्ती 360 डिग्री तक घूम सकती थी. इस बत्ती को बीकन रे का नाम दिया गया. धीरे-धीरे 1960 तक ये लालबत्ती काफी लोकप्रिय हो गई . इसके बाद घूमने वाली लाल नीली रॉड बाजार में आने लगी .
इन देशों में जारी है लालबत्ती का इस्तेमाल
. अमेरिका . स्कूल की गाड़ियों सहित अन्य आपातकालीन सेवाओं में
. अर्जेंटीना. दमकल सेवाओं इस्तेमाल होती है
. ब्रुनेई. एंबुलैंस के लिए
. हांगकांग. दमकल सेवाओं में
. इंडोनेशिया. सर्च और रेस्क्यू यूनिट, दमकल विभाग और एंबुलेंस में
. जापान. पुलिस, आपातकालीन सेवाओं, दमकल, एंबुलेंस में
. न्यूजीलैंड. आपातकालीन सेवाओं में