दिव्यांगता के निवारण और पुनर्वास के लिए छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में शुरू किए जायेंगे विशेष पाठ्यक्रम
रायपुर। प्रदेश में दिव्यांगता के निवारण और पुनर्वास के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों में विशेष पाठ्यक्रम शुरू किये जाएंगे। इसके लिए छत्तीसगढ़ में पहली बार आज रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में ‘भारतीय पुनर्वास परिषद के पाठ्यक्रमों के संचालन के लिए वर्तमान परिदृश्य-संभावनाएं-कार्य योजना विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा भारतीय पुनर्वास परिषद के सहयोग से किया गया। इस दौरान प्रदेश के 14 विश्वविद्यालयों व भारतीय पुनर्वास परिषद के प्रतिनिधियों द्वारा एक मंच पर आकर पाठ्यक्रमों को शुरू करने के संबंध में चर्चा की गई।
बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती प्रभा दुबे ने बताया कि दिव्यांग बच्चों के हित व विकास के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया है। कार्यशाला के माध्यम से विश्वविद्यालयों को दिव्यांग बच्चों की विशेष आवश्यकताओं से संबंधित पाठ्यक्रम संचालित करने में मदद होगी। इससे दिव्यांग बच्चों के विकास, जीवन और अधिकारों की रक्षा, शिक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षित लोग उपलब्ध होंगे। पाठ्यक्रमों के संचालन से बेरोजगार लोगों को हॉस्पिटल, शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों से कहा कि प्रदेश में दिव्यांग, धीमी गति से सीखने वाले और अन्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के विशेषज्ञ तैयार करने के लिए अधिक से अधिक पाठ्यक्रमों को शुरू करें।
भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सुबोध कुमार ने बताया कि भारतीय पुनर्वास अधिनियम के तहत दिव्यांगों के लिए विशेषज्ञ व्यक्ति का होना आवश्यक है। भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा देशभर में दिव्यांगता के निवारण व पुनर्वास संबंधी अनेक पाठ्यक्रम विश्वविद्यालयों के माध्यम से संचालित किए जाते है। देशभर में नियमित पाठ्यक्रमों के अंतर्गत 60 तथा दूरगामी प्रक्रिया के अंतर्गत 3 कोर्सेस का प्रमुखता से संचालन किया जा रहा है। इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने वाले छात्र भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा पंजीकृत किए जाते है। इसके उपरांत वे व्यवसायिक रूप से अपनी सेवाएं चिकित्सालयों एवं निजी तौर पर भी उपलब्ध करा सकते है। इन पाठ्यक्रमों में दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित, मानसिक रूप से अक्षमता, धीमी सीखने की क्षमता, सामुदायिक पुनर्वास, पुनर्वास के मनोविज्ञान तथा स्पीच थैरेपी जैसे आकर्षक पाठ्यक्रम शामिल है एवं इसके साथ ही परामर्शदाता तथा देखभाल देने की सेवाओं के साथ-साथ समावेशी शिक्षा के पाठ्यक्रम भी शामिल हैं। श्री कुमार ने बताया कि परिषद द्वारा इसके लिए अनुदान और सहायता भी उपलब्ध करायी जाती है।
कार्यशाला में भारतीय पुनर्वास परिषद के सहायक सचिव श्री संतोष पाल सहित छत्तीसगढ़ के विभिन्न विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार,मनोविज्ञान,शिक्षा, समाजशास्त्र और समाज कार्य विभाग के प्राध्यापकगण सहित महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।