दूध संजवनी योजना के दूध से बच्चों में फूड पोइजन का खतरा 

अरवल्ली | जिले में दूध संजवनी योजना विवाद का केन्द्र बनी हुई है| साबर डेयरी द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा फ्लेवर्ड दूध उचित रखरखाव के अभाव के कारण बच्चों में फूड पोइजन का कारण बना हुआ है|
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के हस्ते राज्य के अरवल्ली जिले की सरकारी प्राथमिक स्कूलें व आंगनबाडी केन्द्र में पढाई कर रहे बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य निरोगी व कुपोषण दूर करने के उद्देश्य से दूध संजीवनी योजना शुरू की गई थी| यह योजना राज्य के आदिवासी जिलों में लागू की गई थी| दूध संजीवनी योजना के तहत दूध के फ्लेवर्ड पाउच साबरडेरी से जिले तहसीलों में प्राथमिक स्कूलों में कोन्ट्रेक्टर ने अज्ञात कारणवश दूध के पाउच रखने के लिए दिए केरेट वापिस लेने पर स्कूल के आचार्य व मध्याहन भोजन संचालकों दूध संजीवन योजना के तहत बच्चों को दूध उपलब्ध दूर करने के लिए दुविधा में है| केरेट के अभाव में बाल्टी आदि बर्तनों में फ्लेवर्ड दूध के पाउच रखने के लिए मजबूर है| फ्लेवर्ड दूध में सही तापमान में नहीं रखे जाने पर दूध खराब हो जाता है जिसके कारण उसे फेंक देने की स्थिति पैदा हो रही है| साथ ही कई बात ऐसा दूध बच्चों को देने पर बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा होने की संभावना बढ रही है| राज्य सरकार दूध संजीवनी योजना पर करोडो रुपयों का खर्च करने के बावजूद दूध के संग्रह के लिए योग्य व्यवस्था न होने पर यह योजना बच्चों के लिए खतरा साबित हो रही है| मोडासा तहसील के एक प्राथमिक स्कूल के आचार्य के मुताबिक दूध संजीवनी योजना में दूध के पाउच संग्रह करने के केरेट वापिस ले लेने पर पाउच उपलब्ध करा रहे कोन्ट्रेक्टर द्वारा स्कूल के समय से पहले ही स्कूल के बाहर ही पाउच रख देने पर कुत्ते, बिल्लियां दूध पी जाते है जिससे बच्चे दूध से वंचित हो रहे है| साबर डेयरी के अधिकारी के मुताबिक अरवल्ली, साबरकांठा जिले में दूध संजीवनी योजना में आ रही क्षति दूर करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी व कोन्ट्रेक्टर को सूचना दी गई है| कोन्ट्रेक्टर द्वारा दूध संग्रह के लिए दिए गए केरेट भी तत्काल असर से स्कूलों को सौंपने की सूचना दी गई है| 

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