धन का परमार्थ में उपयोग करना ही सर्वश्रेष्ठ : स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य
इन्दौर । धन की तीन गति होती है। हम चाहे तो उसका उपयोग भोग विलास में करे, परमार्थ में करे या फिर उसका नष्ट होना तो तय है ही। हमारे द्वारा संचय किया गया धन हमारे पुत्र किस तरह उपयोग करंेगे, कहना मुश्किल है। यदि वे सुपुत्र हुए तो खुद ही कमा लेंगे और यदि कपूत हुए तो हमारे द्वारा वसीयत में छोड़े हुए धन का दुरूपयोग कर उसे भी नष्ट कर देंगे अतः अपने धन का परमार्थ में उपयोग करना ही सर्वश्रेष्ठ होगा।
अग्रवाल नगर ओल्ड भूमि स्थित ‘रामांश’ पर चल रहे सत्संग सत्र में आज छत्रीबाग स्थित व्यंकटेश मंदिर के अधिष्ठाता स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य महाराज ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने अपने अध्यक्षीय आशीर्वचन में कहा कि हर जीव अपने भविष्य को लेकर चिंतित बना रहता है। कौनसा ग्रह अनुकूल या प्रतिकूल है, इसकी जानकारी लेने के लिए पंडितों की शरण में भी पहुंचता है लेकिन जिसने रामनाम महामंत्र का आश्रय ले लिया, उसके प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं। प्रारंभ में सतीश कचोलिया, मुकेश कचोलिया, मुकेश राय, संतोष मानधन्या, विजय न्याती, सुभाष गोयल आदि ने संतो का स्वागत एवं पूजन किया। इस अवसर पर संजय बिड़ला, प्रहलाद अग्रवाल, रोहन कचोलिया, सुरेंद्र मित्तल सहित बड़ी संख्या में धार्मिक सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।