न्यायिक आयाेग ने पूछा : विकास दुबे पर सबसे पहले किसने चलाई गोली, कैसे पलटी कार और कौन निकला पहले बाहर

कानपुर |   बहुचर्चित विकास दुबे एनकाउंटर की जांच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित किए गए न्यायिक आयोग की टीम कानपुर पहुंची। इस बार एनकाउंटर स्पॉट्स का मुआयना किया। बिकरू कांड के बाद जैसे-जैसे एनकाउंटर हुए। टीम ने वैसे वैसे ही जांच की। सबसें पहले चौबेपुर स्थित कांशीराम निवादा से शुरुआत की। उसके बाद पनकी और सचेंडी में जायजा लिया। एनकाउंटर में शामिल पुलिस और एसटीएफ के अफसरों-सिपाहियों से कई सारे सवाल पूछे। ज्यादातर के जवाब दिए गए पर कुछ के जवाब एनकाउंटर टीम नहीं दे सकी। टीम रिटायर जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में आई थी। उनके साथ हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस एसके अग्रवाल और पूर्व डीजीपी एके गुप्ता भी शामिल थे। 

गाड़ी पलटने पर दरवाजा खोलकर पहले कौन निकला
जांच आयोग के सदस्य दोपहर लगभग 2:55 बजे सचेंडी पहुंचे। जहां पर विकास दुबे मारा गया था। यहां पर सदस्यों ने सबसे पहले वह जगह देखी जहां पर वाहन पलटा था। इस पर उन्होंने सवाल किए :

– बारिश हो रही थी और हाईवे चौड़ा है तीन गाड़ियां एक साथ ओवरटेक कर सकती हैं। ऐसे में गाड़ी किनारे कैसे आकर डिवाइडर से टकरा गई। एनकाउंटर टीम ने जवाब दिया कि बारिश के कारण दिखाई नहीं दिया इस कारण गाड़ी किनारे आ गई आगे वाला पहिया अचानक डिवाइडर पर चढ़ा और गाड़ी पलट गई।

–  आयोग ने पूछा विकास कहां बैठा था। उन्हें बताया गया कि उसे बीच में बैठाया गया था।

 गाड़ी पलटने पर सबसे पहले कौन बाहर निकला।

उसके बाद आयोग ने एनकाउंटर कैसे हुआ इसके बारे में जानकारी ली। जिसके लिए सिपाहियों को वैसे ही खड़ा किया गया जैसे घटना के समय वह लोग मौजूद थे। आयोग ने फिर जानकारी की

– किसने कितनी गोली चलाई और विकास को उसमें से कितनी गोली लगी। इसके बाद उन्होंने एसटीएफ के दरोगा से पूछा कि आपकी पिस्टल जो छीनी गई थी उसमें कितनी गोलियां थीं। दरोगा ने जवाब दिया दस। इस पर टीम ने कहा एनकाउंटर के बाद उसमें कितनी गोली मिलीं। दरोगा ने कहा एक। उन्होंने बताया कि विकास ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। 

पूछा कितनी टीमें थीं शामिल :

कांशीराम निवादा में पुलिस एनकाउंटर में विकास का मामा प्रेमप्रकाश पाण्डेय और चचेरा भाई अतुल दुबे मारा गया था। वहां पहुंचने पर आयोग ने पूछा कि यहां पर कितनी टीमें एनकाउंटर में शामिल थीं और दोनों आरोपितों को कैसे घेरा गया था। आईजी ने उन्हें पूरी घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सूचना पर आरोपितों को चारों ओर से पुलिस ने घेरा था। इसके लिए चार टीमें लगाई थीं।  टीम ने पूछा कि आपको सूचना कैसे मिली कि आरोपित यहीं पर छुपे हुए हैं। इस पर उन्हें जानकारी दी गई कि पुलिस को कुछ संदिग्ध नम्बर मिले थे। जिन्हें लगातार सर्विलांस पर लिया गया था। थोड़ी सूचना उन नम्बरों से और बाकी मुखबिरों के जरिए सूचना मिलने पर लोकेशन पुख्ता हुई थी। पूर्व एसएसपी दिनेश कुमार पी ने भी उन्हें बताया कि कैसे बदमाशों ने फायर किया और जवाब में पुलिस ने किस लोकेशन से फायरिंग की थी। वहां से निकलने के बाद आयोग आईआईटी भी गया।

जानी पूरी घटना की कहानी 
आईआईटी से निकलने के बाद आयोग पनकी कूड़ा प्लांट के पास पहुंचा। जहां पर प्रभात मिश्रा ढेर हुआ था। वहां पर एनकाउंटर करने वाली टीम मौजूद थी। आयोग ने सबसे पहले पूछा कि गाड़ी पंचर हुई तो आरोपित प्रभात कैसे भागा। इस पर टीम ने बताया कि आरोपित बीच में बैठाया गया था। पंचर होने पर पुलिस कर्मी बाहर निकलकर देखने लगे। उतनी देर में वह पास बैठे पुलिस कर्मी की पिस्टल छीनकर उसे धक्का देते हुए भाग निकला और सड़क पार कर कच्चे रास्ते की तरफ भाग निकला। फिर आयोग ने पूछा कि इसमें कितने सिपाही घायल हुए। जिसपर उन्हें बताया गया की दो सिपाही घटना में घायल हुए थे। 15 मिनट तक घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद टीम वहां से निकल गई। 

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