पंचकल्याणक महामहोत्सव में हुई केवलज्ञान कल्याणक की आराधना 

भोपाल। मंदाकिनी जिनालय पंचकल्याणक महामहोत्सव में श्रद्धा भक्ति और आस्था से सराबोर श्रद्धालु पाषाण से भगवान बनने के आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। आज पंचकल्याणक के मंच से केवलज्ञान कल्याणक की क्रियायें हुईं। आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज के करकमलों से जिन प्रतिमाओं में सुरिमंत्र विधि द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की गई। इन्द्र-इन्द्राणी बने हर्ष विभोर होकर आदिसागर महाराज की आहारचर्या सम्पन्न कराई। केवलज्ञान की धार्मिक क्रियायें मंत्रोच्चार के साथ मुनिसंघ के करकमलों से सम्पन्न हुई। पंचकल्याणक के मंच पर प्रतिकात्मक समवशरण की भव्य रचना की है, जिसके सबसे उपर भगवान जिनेन्द्र की प्रतिमा विराजमान थी। 
समवशरण से आचार्य श्री ने आशीष वचन में कहा, जिसकी दृष्टि कौशल्या के राम की है, उसका किसी खोटे काम में मन लगेगा ही नहीं और जिसकी दृष्टि आत्मराम की है उसकी दृष्टि में कोई काम ही नहीं होता। देश की वेश की प्रत्याशक्ति गहरी होती है, यदि कोई विद्यमान दिख जाये तो जिनवाणी सुनने के भाव आ जाते हैं। संत की वीतराग मुद्रा को देखकर सिद्ध भगवान की छबि अंतरंग में आ जाती है। आचार्य श्री ने कहा संसार शरीर भोग से विरक्ति का नाम वैराग्य है। संसार में भोग सामग्री अल्प है, परन्तु अकांक्षायें, इच्छायें अनन्त हैं। राग वह आग है जो मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन स्वाह कर देती है। राग ही बंध का कारण है, वैराग्य के राग में वस्तु व्यवस्था भंग मत कर देना। वैराग्य का तात्पर्य है, जिस लौकिक वस्तु से राग है वह राग समाप्त कर लो, क्योंकि वस्तु तो वहीं की वहीं रहेगी। संसार के प्रति राग है तो वह राग दूर कर आत्म उत्थान की ओर निहार लो। आचार्य श्री ने कहा जो सच्चे धर्म की व्याख्या कर रहे हैं, उसमें कोई पंत, पक्ष, सम्प्रदाय, भेष, जाति-पाति नहीं होती, उस धर्म का नाम है ’शुद्ध ज्ञान दर्शन‘। इस धर्म को जीवन में उतार लेंगे तो कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने बताया आचार्य श्री के सानिध्य में आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज द्वारा लिखित प्रसिद्ध ग्रंथ ’अलिंगग्गहणं‘ का विमोचन किया गया। इस ग्रंथ की विशेष बात यह है कि इसमें प्रत्येक गाथा में 21 प्रवचनों का समावेश किया गया है। 
इस अवसर पर मंदाकिनी मंदिर समिति को अध्यक्ष डॉ. मुकेश जैन, नरेन्द्र जैन, डॉ. उमेश, इंजी. विनोद जैन, इंजी. विरेन्द्र, मनीष बड़कुल, गौरव मोदी, मनोज जैन, पवन जैन, हितेश जैन, नरेश तामोट, राजेश, पुष्पेन्द्र तामोट, अनुज, सर्वेश सहित विभिन्न मंदिर समिति के पदाधिकारी, विभिन्न संगठनों के सदस्यों ने आचार्य श्री श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। 

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