पंजाब में नशे के खात्मे के दावे फेल, नशा छोड़ चुके 1.62 लाख लोग फिर पहुंचे इलाज कराने

पंजाब से नशे को जड़ से खत्म करने के कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के प्रयास फेल होते दिखाई दे रहे हैं। ताजा आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि प्रदेश के नशा छुड़ाओ केंद्रों में 2.75 लाख से अधिक लोगों का इलाज तो चल ही रहा है, नशा छोड़ चुके लगभग 1.62 लाख लोग दोबारा नशा छुड़ाओ केंद्रों में पहुंचे हैं।
नशा मुक्ति केंद्रों में रजिस्ट्रेशन के आधार पर यह खुलासा भी हुआ है कि सरकारी के मुकाबले प्राइवेट केंद्रों में ज्यादा लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं। इनमें मोगा सबसे आगे है। जबकि अमृतसर दूसरे, गुरदासपुर तीसरे, पटियाला चौथे और फिरोजपुर पांचवें स्थान पर है। सूबे में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के गठन के तुरंत बाद नशे की रोकथाम के लिए एसआईटी का गठन किया गया था।

बीते ढाई सालों के दौरान एसआईटी में अफसरों की आवाजाही लगी रही, लेकिन एसआईटी के हाथ कोई बड़ा नशा तस्कर नहीं आया। इसी दौरान जांच का दायरा बढ़ने पर कुछ पुलिस अधिकारियों की नशा तस्करों से मिलीभगत के मामले खुले तो जांच ढीली पड़ती गई। राज्य सरकार ने एसआईटी को ही प्रदेश में नशा मुक्ति केंद्रों की देखरेख की जिम्मेदारी भी सौंपी है।

बीते ढाई वर्षों में सरकार की ओर से यह दावा किया जाता रहा कि सख्त कदमों के चलते नशा तस्करों ने पंजाब छोड़ दिया है और अब राज्य में नशा मिलना आसान नहीं रह गया। लेकिन अब राज्य सरकार के ही आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि 1 लाख 61 हजार 533 लोग जो नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज करवाकर नशा छोड़ चुके थे, दोबरा इन केंद्रों में रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे हैं।
एक लाख महिलाएं और युवतियां भी नशे की शिकार
उल्लेखनीय है कि पंजाब में सरकारी स्तर पर 35 नशा मुक्ति केंद्र चलाए जा रहे हैं, जबकि निजी केंद्रों की संख्या 96 है। बीते कुछ महीनों के दौरान ही इन केंद्रों में 1,72,530 लोगों ने इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है, उनमें उक्त 1 लाख 61 हजार 533 लोग भी शामिल हैं।

इस तरह राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, नशा पीड़ितों की तादाद करीब पौने दौ लाख है लेकिन एम्स के सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है कि राज्य में 2 लाख 75 हजार 373 लोग नशे के आदी हैं। उधर, पीजीआई के एक सर्वे में यह खुलासा भी हो चुका है कि राज्य में करीब एक लाख महिलाएं और युवतियां भी नशे की लत का शिकार हैं।

इन सर्वेक्षणों में ही यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर लोग नशे के शिकार अपने परिजनों को लोकलाज के डर से नशा मुक्ति केंद्रों में नहीं लाते। इस तरह राज्य में नशे के आदी लोगों की सही संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
इलाज का तरीका बदलेगा, टेक होम डोज सर्विस शुरू होगी
नशा मुक्ति केंद्रों में इलाज कराने से झिझक रहे लोगों की स्थिति का आकलन करने के बाद राज्य सरकार ने इलाज के तरीके में बदलाव का फैसला किया है। सूबे के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के अनुसार, नशा छुड़ाओ अभियान के तहत टेक होम डोज सर्विस की शुरुआत की जा रही है, जिसके तहत नशा पीड़ितों को उनके घर पर ही मुफ्त में दवा उपलब्ध कराई जाएगी।

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा कराए सर्वे में यह बात सामने आई है कि डेढ़ साल के मुकम्मल इलाज के लिए पीड़ितों को रोज दवा लेने के लिए केंद्रों में आना संभव नहीं होता, जिसके चलते अक्सर मरीज इलाज अधूरा छोड़ देते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अब बूप्रीनोरफिन-नैलोक्सन की टेक होम डोज सर्विस शुरू करने का फैसला किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया कि नशा मुक्ति केंद्रों के अलावा राज्य में निजी मनोचिकित्सक क्लीनिकों को भी टेक होम डोज सर्विस मुहैया कराने की आज्ञा दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि बूप्रीनोरफिन-नैलोक्सन की दस गोलियां 60 रुपये में उपलब्ध कराई जाएंगी, जो नशा मुक्ति केंद्रों में मिलने वाली दवा से दस गुना सस्ती होगी।

 

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