पंजाब में सरकार के इंतजाम धड़ाम, नॉन स्टाप जल रही पराली, सख्ती-जागरूकता भी नहीं आए काम

पंजाब सरकार ने पराली जलने से रोकने के लिए हर तरह के इंतजाम किए। सब्सिडी पर मशीनें, जागरूकता मुहिम और कार्रवाई भी की गई। इसके बावजूद पराली जलने के मामले घटने के बजाय बढ़ गए हैं। 2018 में 16 अक्तूबर तक खेत में पराली जलाने के 950 मामले आए थे। इस बार वे बढ़ कर 1350 हो गए हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी अमृतसर और तरनतारन के किसान पराली जलाने में सबसे आगे हैं।
पंजाब के खेतों में पराली जलने से उठने वाला धुआं तीन साल से राष्ट्रीय मुद्दा बन रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पंजाब सरकार को इस पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। केंद्र सरकार ने भी पराली प्रबंधन की मशीनों पर सब्सिडी देने का फैसला किया था। 2018 में पंजाब के खेतीबाड़ी विभाग ने ज्यादा से ज्यादा किसानों को मशीनरी सब्सिडी पर देने को मुहिम चलाई थी।

इसके बाद धान सीजन के अंत तक किसानों और सोसाइटियों को 28 हजार मशीनें दी गई थीं लेकिन उनका असर इस साल भी देखने को नहीं मिल रहा। इस साल भी सरकार ने सब्सिडी पर 24 हजार मशीनें देने की तैयारी की है। इनमें से करीब 15 हजार मशीनें दी जा चुकी हैं। उसके बावजूद पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है जिसने खेतीबाड़ी विभाग को चिंता में डाल दिया है। हालांकि विभाग की दलील है कि पिछले साल धान कटाई शुरू होते समय एक हफ्ते तक लगातार बारिश हो रही थी इसलिए पराली नहीं जली थी। इस बार यह शुरुआत से जलाई जा रही है।
पंजाब में इस बार धान का कुल रकबा 29 लाख हेक्टेयर था जिसमें से 6.29 लाख हेक्टेयर बासमती है। इस कारण 22.71 लाख हेक्टेयर धान की पराली के खेत में प्रबंधन की जरूरत पड़ेगी क्योंकि बासमती की पराली पशु चारे के रूप में इस्तेमाल की जाती है।

सारे उपाय बेअसर
खेतीबाड़ी विभाग ने पराली जलाने से रोकने को हर तरह के उपाय किए, लेकिन अब तक उनका असर नजर नहीं आया है। विभागीय सचिव काहन सिंह पन्नू ने बताया कि पराली प्रबंधन के लिए मशीनें दी जा रही हैं। प्रगतिशील किसान और विभागीय टीमें किसानों को जागरूक कर रही हैं।

मोबाइल वैन जा रही हैं, गांवों में कैंप लगाए जा रहे हैं। 18 अक्तूबर को सभी ग्रामीण स्कूलों के बच्चे अपने-अपने इलाकों में जागरूकता रैलियां निकालेंगे। सभी जिलों की कमान सीनियर आईएएस अफसरों को सौंपी गई है। राजस्व विभाग को पराली जलाने वालों पर कार्रवाई करने को कहा गया है।

2018 में हुए थे 1.37 करोड़ के चालान
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने 2018 के धान सीजन में पराली जलाने के मामलों में 1.37 करोड़ के चालान किए थे। इनमें से 19 लाख रुपये रिकवर हो गए थे। बाकी कई केस कोर्ट में चल रहे हैं। इस बार भी बोर्ड ने कार्रवाई की तैयारी कर ली है। जैसे-जैसे रिपोर्ट आएंगी, पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की जाएगी।
550वें प्रकाश पर्व की अपील का भी नहीं हुआ असर
पंजाब सरकार ने किसानों से अपील की थी कि इस साल श्री गुरु नानक देव जी का ऐतिहासिक 550वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है। उन्होंने ही पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महात का संदेश दिया था। इसलिए इस महत्वपूर्ण अवसर पर उनके फलसफे पर चलते हुए पराली न जलाएं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी सरकार का समर्थन करते हुए किसानों से पराली न जलाने की अपील की थी।

एसजीपीसी के सचिव दलजीत सिंह बेदी ने बताया कि कमेटी की एक हजार एकड़ खेतीबाड़ी योग्य जमीन है। वहां तो पराली जलाने की सख्त मनाही है ही, इसके अलावा पूरे पंजाब के किसानों से अपील की गई है कि वे पराली न जलाएं। इस बार तो देश-विदेश से लाखों की तादाद में गुरु नानक नामलेवा संगतों ने 550वें प्रकाश पर्व समागमों में हिस्सा लेने पंजाब आना है। पराली जलाने से अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

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