पड़ोसी राज्यों में पराली जलने से दिल्ली पर फिर प्रदूषण का खतरा

नई दिल्ली, सर्दियों में दिल्ली की आबोहवा के दूषित होने की आशंका एक बार फिर बढ़ गई है। प्रदूषण को बढ़ाने में पराली जलाने को बड़ा कारण माना जाता है। लेकिन तमाम रोक के बावजूद इस साल भी पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगी हैं। 

हरियाणा प्रदूषण बोर्ड के सदस्य एस.नारायणन ने बताया कि अकेले करनाल जिले में पराली जलाने के 61 मामले सामने आए हैं। इनमें 26 मुकदमे दर्ज किए हैं और 35 किसानों से 90 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है। वहीं पंजाब प्रदूषण बोर्ड के सदस्य करुनेश गर्ग ने भी राज्य में पराली जलाने की दो घटनाओं की पुष्टि की है। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) स्थित वायु गुणवत्ता के पूर्व प्रमुख डी. शाहा ने कहा, मानसून के तुरंत बाद किसान रबी की फसल के लिए खेतों को तैयार करने के लिए पराली जलाना शुरू कर देते हैं। चूंकि मानसून लौट रहा होता है और उस समय हवाओं की दिशा पश्चिमोत्तर होती है। इस प्रकार ये हवाएं पराली से होने वाले प्रदूषण का बड़ा हिस्सा दिल्ली और रास्ते में पड़ने वाले शहरों तक पहुंचाती है। 

सीपीसी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल भी अक्तूबर में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में गिरावट शुरू हुई थी और महीने के तीसरे हफ्ते में चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई थी। 

कितना घातक 

– 60 किलो कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलता एक टन पराली जलाने पर 

– 1,460 किलो कार्बन डाई ऑक्साइट का उत्सर्जन होता, 199 किलो राख 

– 3 किलो सूक्ष्म कण और दो किलो सल्फर डाइ ऑक्साइड का भी उत्सर्जन 

पिछले साल हजारों किसानों ने जलाई पराली

– 12,657 मामले हरियाणा में सामने आई 

– 43,814 घटनाएं पंजाब में दर्ज की गई 

– 46% कमी 2017 में आई 2016 के मुकाबले 

सरकार की कोशिश 

– 30 गांवों पर विशेष निगरानी कर रही हरियाणा सरकार 

– 1,151 करोड़ रुपये हरियाणा ने पराली प्रबंधन को दिए 
 

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