पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर जमीन खरीद रही चीनी कंपनियां, जानिए क्यों
विश्लेषकों का मानना है कि चाइनीज कंपनियों अपनी सरकार की वन रोड वन बेल्ट पॉलिसी के तहत निवेश कर रही हैं। पिछले कुछ समय में चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती देखने को मिली है जिसके बाद उसने विदेशी निवेश बढ़ाने का प्रयास तेज कर दिया है।
हाल ही में चीन के नेतृत्व वाले एक कंसर्टियम ने पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में बड़ा हिस्सा खरीदा है। इसके अलावा शंघाई इलेक्ट्रिक पावर ने पाकिस्तान की सबसे बड़ी बिजली कंपनी के इलेक्ट्रिकल का 1.8 अरब डॉलर में अधिग्रहण किया है।
सीमेंट, स्टील और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को उत्सुक हैं चीनी कंपनियां
तब्बा ने बताया कि युनूस ब्रदर्स ने एक चाइनीज कंपनी के साथ मिलकर के इलेक्टिकल का अधिग्रहण करने की कोशिश की थी लेकिन वह असफल रहे और बाजी शंघाई इलेक्ट्रिक पावर के हाथ लग गई। हालांकि अब ग्रुप एक अन्य चाइनीज कंपनी के साथ आगामी वर्षों में दो अरब डॉलर की निवेश योजना पर काम कर रहा है।
कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान के निजीकरण मंत्री रहे मोहम्मद जुबैर ने चाइना का बायोस्टील ग्रुप की ओर से पाकिस्तान की सरकारी स्टील कंपनी को तीस साल के लिए लीज पर लेने की बात चल रही है। हालांकि इस संबंध में बायोस्टील की ओर कोई जवाब नहीं मिल सका।
खास बात ये है कि पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश करने की चीन की योजना यूरोपियों देशों के बिल्कुल उलट है जो पाकिस्तान में निवेश करने के प्रति हमेशा से उदासीन रहे हैं।
चीन के अलावा कोई अन्य देश पाकिस्तान में निवेश को तैयार नहीं
पाकिस्तान में लगातार पैर पसारते आतंकवाद के कारण विदेशी निवेशक हमेशा से अपने पैर खींचते रहे हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान की आर्थिक वृद्िध दर पांच फीसदी के आसपास अटकी हुई है।
इसके अलावा पाकिस्तान में बीते सालों में विदेशी निवेश भी घटा है। साल 2007-2008 में 5.4 अरब डॉलर के साथ ये अपने चरम पर था जबकि साल 2015-2016 में यह घटकर मात्र 1.9 फीसदी रह गया।
हालांकि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के अस्तित्व में आने के बाद से चीन और पाकिस्तान दोनों तरफ के उद्योग जगत काफी उत्साहित हैं जो इस आर्थिक गलियारे में औद्योगिक विकास की बड़ी उम्मीद देख रहे हैं।