प्रदेश में किसानों की उपज लेकर भाग रहे हैं व्यापारी….

भोपाल।प्रदेश में मंडी प्रांगण से बाहर खरीदी कर रहे व्यापारी किसानों की उपज बिना कीमत अदा किये भाग रहे हैं। राज्य कृषि मंडी बोर्ड को सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश देने पड़े हैं कि वे ऐसे भागे व्यापारियों की जानकारी एकत्रित करें तथा किसानों को समझायें कि वे ऐसे भागे व्यापारियों के खिलाफ कार्यवाही कराने के लिये जिले की एसडीएम कोर्ट में अर्जी लगायें।

शिवराज सरकार के प्रयास विफल रहे :
शिवराज सरकार गत 1 मई 2020 को मंडी अधिनियम में संशोधन के लिये अध्यादेश लाई थी जिसमें निजी व्यापारियों को एक ही लायसेंस में कहीं से भी खरीदी का प्रावधान था तथा इलेक्ट्रानिक रुप से आदान-प्रदान का भी प्रावधान किया गया था। यह अध्यादेश कोरोना काल में लगे लॉकडाऊन में अमल में नहीं आ पाया और इधर केंद्र सरकार ने जून 2020 में तीन कृषि कानूनों का अध्यादेश जारी कर दिया जिसमें निजी व्यापारियों को बिना पंजीयन कराये कहीं से भी किसान से खरीदी की छूट दे दी गई। बाद में केंद्र ने संसद में विधेयक लाकर इन तीनों कृषि कानूनों को पारित कराकर लागू भी कर दिया। इधर शिवराज सरकार का 1 मई को जारी अध्यादेश अक्टूबर 2020 में लैप्स हो गया क्योंकि अध्यादेश सिर्फ छह माह तक ही लागू रह सकता था। राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सितम्बर 2020 के विधानसभा सत्र में उक्त अध्यादेश को कानूनी रुप देने के लिये विधेयक भी भेजा था परन्तु इस विधेयक को न ही विधानसभा के पटल पर रखा गया और न ही इस पर चर्चा हुई।

यह है असल दिक्कत :
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून पूरे देश में लागू हो गये हैं तथा इनमें व्यापारियों खास तौर पर कारपोरेट घराने को खुली छूट मिल गई है। उत्तर भारत में इसीलिये किसान आंदालन कर रहे हैं। मप्र में इस किसान आंदोलन ने अपनी जमीन नहीं जमाई है परन्तु कृषि से जुड़े सभी विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इन तीनों कृषि कानूनों में भाव, तौल एवं भुगतान के स्पष्ट प्रावधान हों।
 

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