बड़ा सवालः कौन करा रहा है CBI के चीफ पद से हटे आलोक वर्मा की जासूसी
नई दिल्ली, छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा के घर के बाहर से 4 संदिग्ध लोग पकड़े गए हैं. इन चारों को वर्मा की जासूसी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है. दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक इनके पास से इंटेलिजेंस ब्यूरो के कार्ड मिले हैं जिसकी सच्चाई पुलिस खंगाल रही है.
जब पुलिस ने इनसे पूछताछ की तो इन्होंने खुद को आईबी ऑफिसर बताया और खुद के नाम धीरज कुमार- जूनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर, अजय कुमार- जूनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर, प्रशांत कुमार- असिस्टेंट कंटेंट ऑफिसर, विनीत कुमार- असिस्टेंट कंटेंट ऑफिसर बताए. इनके पास से 3 मोबाइल फोन और आईपैड बरामद हुए हैं.
सफेद कार में आए इन चारों लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है. इन लोगों को पहले वर्मा के सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ा फिर इन्हें पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस इनसे तमाम सवाल कर रही है कि सख्त सुरक्षा वाले इलाके में आलोक वर्मा के घर के बाहर ये संदिग्ध क्या कर रहे थे. ये लोग एक गाड़ी में सवार होकर आलोक वर्मा के घर के बाहर आए थे. पुलिस अब गाड़ी की भी पड़ताल कर रही है. जिस कार में ये संदिग्ध आए थे, वो किसके नाम है, यह पता लगाया जा रहा है.
इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि आलोक वर्मा की जासूसी कौन करा रहा था. क्या सरकार की मशीनरी इसके पीछे है? सीबीआई के इस पूरे प्रकरण में विपक्ष ने सरकार को निशाने पर लिया है और जांच एजेंसी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. गुरुवार को 4 संदिग्ध लोगों के पकड़े जाने के बाद विपक्ष ने और हमले तेज कर दिए हैं.
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट कर 'जासूसी' पर सवाल उठाया और घटना को 'गोल-माल है भाई, सब गोल-माल है' करार दिया. सुरजेवाला ने लिखा, 'सीबीआई डायरेक्टर रात के दो बजे गैरकानूनी तरीके से हटा दिए गए. अब उनके घर के बाहर जासूसी करते 4 आईबी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है. यह ऐसा वाकया है जिसमें राजनीति के साथ अपराध का घालमेल दिखता है. गोल-माल है भाई, सब गोल-माल है!!!'
इस ट्वीट से पहले सुरजेवाला ने एक और ट्वीट किया और कहा कि 'मोदी सरकार सीबीआई को सेंट्रल बरियल ऑफ इनवेस्टिगेशन (सीबीआई पर तंज) बनाने के बाद एक नई गिरावट पर लेकर आई है. अब बलात हटाए गए सीबीआई डायरेक्टर की आईबी से जासूसी कराई जा रही है.'
इस मामले में जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि आईबी के चार कर्मचारियों का आलोक वर्मा के आवास के पास जाना और गिरफ्तार होना बड़ी घटना है. त्यागी ने कहा, 'पूरी रिपोर्ट आने तक मैं कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन अगर वह खबर सही है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें चंद्रशेखर का समय का याद आता है जब वह प्रधानमंत्री थे और किस तरह राजीव गांधी के घर के बाहर पकड़े गए दो खुफिया विभाग के हरियाणा पुलिस के कर्मचारियों की वजह से बड़ा राजनीतिक भूचाल पैदा हो गया था. जो भी घटनाक्रम पिछले सप्ताह हुआ है उसने खुफिया एजेंसियों की विश्वसनीयता को तार-तार कर दिया है. हालांकि यह बीजेपी और कांग्रेस के बीच की लड़ाई नहीं है.
विपक्ष के इस आरोप के बाद यह सवाल और मुखर हो गया है कि आखिर आलोक वर्मा की जासूसी कौन करा रहा है और इसके पीछे किसका हाथ है. हालांकि आईबी ने अपने कर्मचारियों के पकड़े जाने के बाद सफाई जारी कर दी है. आईबी के शीर्ष सूत्रों ने 'इंडिया टुडे' से कहा कि इसके कर्मचारी समय-दर-समय दिल्ली के अति-सुरक्षित इलाकों में पेट्रोलिंग पर तैनात किए जाते हैं. आगे मामला क्या है इसकी जांच चल रही है और जल्द ही आगे कोई सूचना दी जाएगी.
वीके सिंह के घर भी हुई थी जासूसी
साल 2013 में एक ऐसी ही घटना तत्कालीन सेना प्रमुख और अब के केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह के घर हुई थी. उनके घर से सेना की वर्दी में एक शख्स को पकड़ा गया. परिवार को शक था कि जासूसी के लिए सेना का अफसर उनके घर आया था. वी के सिंह के परिवार ने उसे पकड़कर पुलिस को खबर कर दी.
उस वक्त जनरल सिंह के परिजनों ने आरोप लगाया था कि उनके घर की जासूसी कराई जा रही है. मामला तब सामने आया, जब सेना की सिग्नल यूनिट के मेजर आर विक्रम के नेतृत्व में एक टीम आर्मी एक्सचेंज की लाइन काटने दिल्ली कैंटोनमेंट के मंदिर मार्ग स्थित जनरल के घर आई. वीके सिंह की पत्नी ने बिना सूचना दिए ऐसा करने का विरोध किया, तो वे लौट गए. उस वक्त जनरल सिंह घर में नहीं थे.