बड़े सुधारों से सेना की मारक क्षमता बढ़ाएगी सरकार
नई दिल्ली . डोकलाम विवाद खत्म होने के तुरंत बाद भारतीय सेना की जंगी तैयारियों को बेहतर करने की दिशा में सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। भारतीय सेना में एक बड़े सुधार के तहत नॉन ऑपरेशनल जिम्मेदारियों में तैनात 57 हजार अफसरों और सैनिकों की नए सिरे से तैनाती होगी और उन्हें ऑपरेशनल भूमिकाओं में लगाया जाएगा। इसके अलावा सेना में सिविलियनों को उन भूमिकाओं में लगाया जाएगा, जिन्हें निभाने के लिए सैनिकों की जरूरत नहीं है। ब्रिटिश शासन के जमाने से चली आ रही कुछ ऐसी सैन्य संस्थाओं को खत्म किया जाएगा, जिनकी जरूरत आज के दौर में नहीं मानी जा रही है।
सशस्त्र बलों की जंगी क्षमता बढ़ाने और रक्षा खर्चों को नए सिरे से बैलेंस करने के लिए मनोहर पर्रिकर के कार्यकाल में रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीबी शेकतकर की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक कमिटी बनाई थी। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में सौप दी थी। रक्षा मंत्रालय ने कमिटी की 99 सिफारिशों को सशस्त्र बलों के पास भेजा, ताकि इन पर अमल की योजना बनाई जा सके। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने पहले चरण में इनमें से 65 सिफारिशों को मंगलवार को मंजूरी दे दी, ये सिफारिशें भारतीय सेना से जुड़ी हैं। मंत्रालय के इस फैसले की कैबिनेट को जानकारी दी गई। सरकार का मानना है कि इन सिफारिशों को लागू करने के दूरगामी नतीजे होंगे।
सरकार ने कहा है कि इन सुधारों को 31 दिसंबर 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। अरुण जेटली ने बुधवार को बताया कि भारतीय सेना में 57 हजार अफसरों, जेसीओ और अन्य रैंक के कर्मियों के साथ सिविलियन कर्मचारियों को नए सिरे से तैनात किया जाएगा। सेना के अफसरों, जेसीओ और अन्य रैंक के लोगों को ऑपरेशन तैयारियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि सिविलियनों को बलों के दूसरे विभिन्न हिस्सों में तैनात किया जाएगा।
शांति वाले इलाकों में आर्मी के अपने डाक संस्थानों और फार्मों को बंद किया जाएगा। कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति ने 39 फार्मों को समयबद्ध तरीके से बंद करने का फैसला पहले ही ले लिया है। इनमें करीब 25 हजार पशुओं का पालन किया जा रहा था। करीब 130 साल पहले ब्रिटिश राज में इस तरह के फार्मों की शुरुआत हुई थी, जब बाजार में दूध आदि की कमी थी। नैशनल कैडेट कोर की क्षमता को बेहतर करने की बात कही गई है। सूत्रों ने कहा है कि इसमें सेना से रिटायर हुए लोगों को काम पर लगाया जाएगा, जबकि इसमें एनसीसी से जुड़े सेवारत अफसरों को ऑपरेशनल भूमिकाओं में भेजा जाएगा। वर्कशॉप, डिपो और ट्रांसपोर्ट यूनिटों में भी बदलाव की तैयारी है। आर्मी में ड्राइवर और क्लर्क की भर्ती के मानक बेहतर बनाए जाएंगे।