मध्य प्रदेश में पटवारी, तहसीलदार और वकीलों के बाद अब अतिथि विद्वानों ने की ‘स्ट्राईक’
भोपाल. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में इन दिनों हड़ताली मौसम चल रहा है. जी हां, एक के बाद एक हर विभाग के कर्मचारी सरकार को घेरने की कोशिशों में लगे हुए हैं. एक-दूसरे को देखकर सभी विभागों के कर्मियों के बीच अपनी मांगें मनवाने की होड़ सी मची हुई है. पहले पटवारी (Patwari Strike) फिर तहसीलदार, इसके बाद वकील भी हड़ताल पर आ गए. अब प्रदेश में कार्यरत अतिथि विद्वान (guest teachers) भी आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं. प्रदेश भर के अतिथि विद्वान अब सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए न्याय यात्रा पर निकले हैं. अतिथि विद्वान संघ ने इंदौर से अपनी पैदल यात्रा शुरू की है.
मंत्री के द्वार से मुख्यमंत्री के द्वार तक
अतिथि विद्वानों ने अपनी मांगें मनवाने के लिए जो तरीका ढूंढा है, वह हड़ताल के सामान्य तरीकों से अलग है. अतिथि विद्वान एक-एक जगह पर रुकते हुए सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं. ढाई हजार अतिथि विद्वान न्याय यात्रा के जरिए मंत्री के द्वार से मुख्यमंत्री के द्वार तक दस्तक देंगे. आपको बता दें कि अभी प्रदेशभर के ढाई हजार शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है. ये शिक्षक सरकार को अपना वादा याद दिलाने के लिए भोपाल में आंदोलन करेंगे. अतिथि विद्वानों की न्याय यात्रा इंदौर से होते हुए आज बैरागढ़ पहुंच गई है. यहां से वे शनिवार को राजधानी भोपाल पहुंचेंगे, जहां बड़ा आंदोलन करने की योजना है.
बेरोजगार होने का डर
प्रदेश में 5 हजार से ज्यादा अतिथि विद्वान हैं, जो लंबे समय से कॉलेजों में शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं. कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने से पहले अतिथि विद्वानों से वादा किया था कि आपको नियमित करेंगे, लेकिन अब तक यह फैसला नहीं लिया गया है. वहीं अब कॉलेज में अतिथि विद्वान के रूप में पदस्थ देवराज का कहना है कि कांग्रेस ने नियमित करने का जो वादा किया था, सरकार उसे भूल गई है. हम उनको अपना वादा याद दिलाने आ रहे हैं. सरकार अपना वादा नहीं निभाती है तो हजारों अतिथि विद्वान बेरोजगार हो जाएंगे.
महिलाएं करेंगी केशदान
प्रदेशभर के 2200 से ज्यादा प्रोफेसरों की एमपी-पीएससी के तहत भर्ती हुई है, जिनकी जल्द ही पदस्थापना भी होने वाली है. ऐसे में कॉलेजों में खाली पदों को प्रोफेसरों के जरिए भर लिया जाएगा. इसके बाद 5 हजार के करीब अतिथि विद्वान बेरोजगार हो जाएंगे. नौकरी से निकाले जाने के डर से ही अतिथि विद्वान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार के विरोध में न्याय यात्रा निकालने में शामिल महिला अतिथि विद्वानों का कहना है कि वह सरकार के सामने केशदान करेंगी, ताकि उनकी नौकरी बच सके.