मन को शुद्ध और निर्मल बनाने का मंत्र है भागवत

इन्दौर । भगवान को हमारे धन की नहीं, शुद्ध और पवित्र मन की जरूरत है। यह मन हमे सत्संग से ही मिलेगा। भागवत कथा मन को शुद्ध एवं निर्मल बनाने का मंत्र है। भक्ति के लिए अपने गृहस्थ धर्म की जिम्मेदारियों को छोड़ने, हिमालय पर जाने या भगवा वस्त्र पहनने की जरूरत नहीं, अपने कर्तव्य पालन करते हुए भगवान को नहीं भूलना ही सबसे बड़ी तपस्या है। भागवत हमारे विचारों को शुद्ध करती है।
सांवेर रोड़ स्थित भारतीय संस्कृति षिक्षा संस्थान ट्रस्ट विश्वनाथ धाम परिसर पर आज से प्रारंभ श्रीमद भागवत ज्ञानयज्ञ, नानी बाई रो मायरो एवं भक्तमाल कथा के संयुक्त आयोजन को संबोधित करते हुए वृंदावन के प्रख्यात महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद की सुशिष्या साध्वी कृष्णानंद ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। काशी के महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वर यति महाराज के सानिध्य में आज कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, ट्रस्ट के राधेश्याम शर्मा गुरूजी, विष्णु बिंदल, गोविंद अग्रवाल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। संयोजक मीरा-सुभाष गोयल ने बताया कि विश्वनाथ धाम पर प्रतिदिन दोपहर 12 से संध्या 4 बजे तक साध्वी कृष्णानंद के श्रीमुख से यह अनूठा आयोजन 30 दिसंबर तक जारी रहेगा। कथा में बुधवार 25 दिसंबर को शुकदेव-परीक्षित मिलन, धु्रव चरित्र, 26 को प्रहलाद चरित्र, गजेंद्र मोक्ष, 27 को श्रीराम एवं कृष्ण जन्मोत्सव, 28 को बाललीला, गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग, 29 को रासलीला एवं रूक्मणी विवाह तथा सोमवार 30 दिसंबर को सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष एवं हवन-पूजन के साथ पूर्णाहुति होगी।
साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि यदि हमारे विचार शुद्ध होंगे तो कर्म भी श्रेष्ठ बनेंगे। कर्म से ही हमारा स्वभाव और स्वभाव से ही श्रेष्ठ चरित्र का निर्माण होगा। चरित्र से ही प्रारब्द्ध बनता है। जिस तरह गंदे कपड़े धोने के लिए डिटर्जेंट की जरूरत होती है, उसी तरह मन की मलीनता को दूर करने के लिए सत्संग रूपी डिटर्जेंट भी जरूरी है। भागवत सनातन और हिंदू धर्मावलंबियों के लिए प्राण है। बार बार भागवत कथा श्रवण से हमारे मन मस्तिष्क पर श्रेष्ठ विचारों की छाप उसी तरह बन जाती है, जिस तरह कुए के पत्थर पर रस्सी के निशान। भागवत तो देवताओं के लिए भी दुर्लभ कथा है। आज तिजोरियां तो बड़ी हो गई है लेकिन हमारे मन सिकुड़ते जा रहे हैं। अपने धन का परमार्थ और सेवा के कार्यों में उपयोग करना ही मानव जीवन की धन्यता होती है।

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