‘मां का कंकाल’: कचरे से मिला आशा की ‘मौत’ का सुराग

मुंबई . ओशिवारा की बेल स्कॉट सोसायटी की दसवीं मंजिल पर स्थित फ्लैट नंबर 1005 में हुई 63 वर्षीय आशा केदार साहनी की मौत की गुत्थी लगभग सुलझ गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आशा की मौत का रहस्य उनके फ्लैट से मिले एक भूरे रंग के लिफाफे में बंद था, जिसमें आशा ने एक सूइसाइड नोट रख छोड़ा था। मंगलवार को ओशिवारा पुलिस की टीम घटना स्थल पर पहुंची और हालात का दोबारा जायजा लिया।

 आशा के घर में पुलिस को गहन छानबीन के बाद कचरे में एक लिफाफा मिला। भूरे रंग का यह लिफाफा घर के कोने में उस जगह मिला, जहां मुंडेर पर कबूतरों का झुंड बैठता और बीट करता है। कबूतरों की बीट से वहां काफी गंदगी थी। यह लिफाफा वहीं पड़ा हुआ था। पुलिस ने जब उस लिफाफे को खोला तो उसके अंदर से एक कागज निकला, जिसमें आशा ने अंग्रेजी में 'मैं जिंदगी से तंग चुकी हूं और मरने जा रही हूं। मेरी मौत का जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि मैं खुद ही हूं।' लिखा हुआ था। आशा के बेटे रितुराज ने पहचान की कि पत्र में उनकी मां की ही लिखावट है।

जांच के दायरे में पुलिसकर्मी

 

आशा के बेटे ने 26 अक्टूबर, 2016 को अमेरिका से ओशिवारा पुलिस को ऑनलाइन एक मेल लिखा था, जिसमें उसने कहा था, 'मेरी मां से मेरा संपर्क नहीं हो रहा है। पुलिस मेरे बेल स्कॉट सोसायटी स्थित कमरा नंबर 1005 में जाकर मेरी मां की स्थिति का पता लगाए और मुझे जानकारी दे।' पुलिस सूत्रों के अनुसार, मेल को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन मेल के संदर्भ में पुलिस ने रोजनामचा में इसे दर्ज जरूर कर लिया। बेटे रितुराज का आरोप है कि अगर पुलिस समय रहते मेल को गंभीरता से लेती और मां के बारे में पता लगाती, तो आज मां जिंदा होती। वरिष्ठ अधिकारी उस ओशिवारा पुलिस की लापरवाही को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। गौरतलब है कि रविवार को आशा का कंकाल उनके घर से बरामद हुआ था।

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