मातृशक्ति की अराधना समाज के सदाचार, सद्विचार का प्रतीक: राज्यपाल टंडन
राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने कहा कि मातृशक्ति की अराधना समाज के सदाचार, सद्विचार का प्रतीक है। भारतीय संस्क़ति की गौरवशाली परम्परा का जागरण कन्या पूजन है। श्री टंडन आज गुफामंदिर में आयोजित कन्या पूजन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मंत्री श्री विश्वास सारंग, महंत श्री चन्द्रमा दास और गणमान्य जन उपस्थित थे। विशाल कन्या पूजन सेवा भारती मध्यभारत द्वारा किया गया। कार्यक्रम में 11 हजार कन्याओं का पूजन किया गया।
राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने कहा कि शक्ति के सभी रूपों का पूजन उनमें निहित शक्तियों को जागृत करेगा। जिससे समाज में व्याप्त कुरीतियां नष्ट होगी। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति के पूजन से समाज में व्याप्त कलुषित भावनाओं का अंत होता है। वहीं कन्याओं में समाज के प्रति आदर, सम्मान और स्नेह की भावनाएं उत्पन्न होती है। उनमें अंतर्निहित शक्तियाँ जागृत होती हैं। संस्कारों का विकास होता है।
श्री टंडन ने कहा कि समाज में जो दु:खद घटनाएं हम देखते, सुनते हैं, समाज में जो भटकाव दिखता है, उसका कारण हमारा सनातन परम्पराओं से दूर होना है। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति की आराधना से सबके प्रति समादर और सारे समाज को अपना समझने की भावना विकसित होती है। सबके प्रति आदर, सम्मान और स्नेह के संस्कार स्थापित होते हैं। विकृतियों के नाश की शक्ति भी उत्पन्न होती है। सबके प्रति सम्मान और स्नेह के भाव उत्पन्न होते हैं। आपसी सद्भाव मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि नवरात्र में मातृशक्ति के नौ रूप की उपासना की जाती है। ये सभी रूप एक देवी के हैं। यह भाव बताता है कि सभी के अंदर विभिन्न शक्तियाँ हैं, उन्हें जागृत कर अनुचित और दुराचारी प्रवृत्तियों का नाश करना और सद्विचार और सदाचार विकसित करना ही शक्ति की उपासना है।