माराडोना के निधन से फुटबॉल का एक युग समाप्त  

अर्जेंटीना की विश्वकप विजेता टीम के कप्तान रहे महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना के निधन से फुटबॉल का एक युगल समाप्त हो गया। इससे खेल जगत सदमे में हैं। माराडोना का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वह 60 साल के थे और पिछले कुछ समय से अवसाद से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। हाल ही में उनकी सर्जरी भी हुई थी। माराडोना ने अपने करियर की शुरुआत 16 साल की उम्र में अर्जेंटीना की जूनियर टीम के साथ की थी। इसके बाद वह दुनिया के सर्वकालिक महान फुटबॉलर में शामिल हो गए। उन्होंने अर्जेंटीना की 1986 फुटबॉल विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाई थी। माराडोना ने बोका जूनियर्स, नेपोली और बार्सेलोना के अलावा अन्य क्लबों की ओर से खेला है। माराडोना को इंग्लैंड के खिलाफ 1986 के टूर्नामेंट में किसे गोल 'हैंड ऑफ गॉड' के लिए याद किया जाता है।
इस महान फुटबॉलर को खेल जगह के साथ ही सभी क्षेत्रों से जुड़ी दिग्गज हस्तियों ने श्रद्धांजलि दी है। अर्जेंटीना फुटबॉल असोसिएश के प्रेजिडेंट क्लाउडियो तापिया ने भी माराडोना के निधन पर गहरा शोक जताया है। वहीं ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले ने माराडोना के निधन पर भावुक श्रृद्धांजलि दी और कहा 
‘एक दिन आसमान में कहीं माराडोना के साथ फुटबॉल खेलूंगा।’ पेले ने ट्वीट किया, ‘बहुत की दुखद समाचार। मैंने एक अच्छा दोस्त और दुनिया ने एक महान खिलाड़ी खो दिया। बहुत कुछ कहना है लेकिन फिलहाल इतना ही कहूंगा कि ईश्वर उनके परिजनों को शक्ति दे। उम्मीद है कि एक दिन हम आसमान में कहीं साथ फुटबॉल खेलेंगे।’ पेले और माराडोना एक दूसरे के खेल के प्रशंसक थे। दोनों की उम्र में दो दशक का फासला था लेकिन रिश्ता दोस्ती का था। फुटबॉल के खेल को खूबसूरत बनाने में इन दोनों के योगदान को दुनिया ने सराहा और इन दोनों ने एक दूसरे के कौशल को।
एक दिन आसमान में साथ में फुटबॉल खेलेंगे, पेले की माराडोना के निधन पर भावुक श्रृद्धांजलि
पेले की ही तरह दस नंबर की जर्सी पहनने वाले दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में गिने जाने वाले माराडोना 60 वर्ष के थे। माराडोना के जिक्र से ही फुटबॉल प्रशंसकों की यादों में 'गोल ऑफ द सेंचुरी' का करिश्माई वीडियो ताजा हो जाता है। दुनिया के महान फुटबॉल खिलाड़ियों में शामिल माराडोना की कप्तानी में ही अर्जेंटीना ने साल 1986 में विश्व कप जीता था। इस विश्व कप में माराडोना ने कई अहम पल दिए थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है जिसमें से सबसे बड़ा और मशहूर पल इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में आया था जब उनकी ओर से किए गए गोल को 'गोल ऑफ द सेंचुरी' कहा गया था। ब्यूनस आयर्स के बाहरी इलाके में 30 अक्टूबर 1960 में पैदा हुए माराडोना ने 1976 में अपने शहर के क्लब अर्जेटीनोस जूनियर्स के लिए सीनियर फुटबॉल में पदार्पण किया था। इसके बाद वह यूरोप चले गए जहां उन्होंने 1982-84 तक स्पेन के दिग्गज क्लब बार्सिलोना के साथ पेशेवर फुटबॉल खेली।
सदमे में डूबा नैपोली
सड़कों पर उतरे लोगों ने जलाई मोमबत्तियां 
नैपोली के फुटबॉल प्रेमियों के लिये महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना का दर्जा भगवान जैसा था। माराडोना की कप्तानी में ही नैपोली ने 1987 और 1990 में दो सीरि ए खिताब जीते थे। इससे देश के फुटबॉल मानचित्र पर इस छोटे से शहर का नाम तेजी से उभरा। नैपोली के पूर्व अध्यक्ष कोराडो फेरलेइनो ने कहा ,‘‘ माराडोना सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं था। वह बरसों तक नैपोली की ऊर्जा का स्रोत रहा है।’’ माराडोना के निधन की खबर को सुनते ही नैपोली में हजारों लोग सड़कों पर निकल पड़े और उनकी याद में मोमबत्तियां जलाई। यह शहर कोरोना महामारी के चलते रेड जोन में है पर इसके बावजूद भारी संख्या में लोग जम गये। नैपोली ने माराडोना की याद में अपने ट्विटर अकाउंट का नीला लोगो तक काला कर दिया है।  
एक फुटबॉलप्रेमी फ्रांसिस्को एरिको ने कहा ,‘‘ यह इतना भावुक करने वाला पल है कि हम इसे शब्दों में बता नहीं सकते।’’ नैपोली के मेयर लुइगी डे मजिस्ट्रिस ने कहा ,‘‘ उन्होंने हमें बहुत कुछ दिया। वह हमारे लिये जुनून का सैलाब बनकर आये। उन्होंने दुनिया भर में नैपोली के लोगों को एकजुट किया। हमारे मन में उनके लिये अपार प्रेम और सम्मान है।’’ माराडोना ने इटली के लोगों को रूलाया था जब 1990 विश्व कप सेमीफाइनल में अर्जेंटीना ने इटली को हराया था। नैपोली के कई प्रशंसकों ने तब माराडोना के लिये भी तालियां बजाई थी। माराडोना सात सत्र तक नैपोली के साथ रहे और 1989 में उसे युएफा कप खिताब भी जिताया था। 
 

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