मैदानी कृषि कार्यकर्ताओं को तिलहन उत्पादन के गुर सिखाए गए
रायपुर । छत्तीसगढ़ में तिलहन फसलों का रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा कृषि विभाग के मैदानी कार्यकर्ताओं को तिलहन फसल उत्पादन के गुर सिखाए गए। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कृषि महाविद्यालय, रायपुर के सस्य विज्ञान विभाग एवं अखिल भारतीय कुसुम अनुसंधान परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘छत्तीसगढ़ मंे तिलहनी फसलों की संभावना एवं चुनौतियाँ’’ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डाॅ. आर.के. बाजपेयी के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में रायपुर, दुर्ग एवं बिलासपुर संभाग के 20 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों एवं कृषि विकास अधिकारियों ने भाग लिया।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में तिलहनी फसलों की सस्य क्रियाओं, फसलों एवं प्रजातियों, फसलों पर कीट तथा बीमारी नियंत्रण, मृदा स्वास्थ्य एवं बाजारों की उपलब्धता आदि विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिये गये। इस दौरान प्रशिक्षणार्थियों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के तिलहनी फसलों के प्रक्षेत्रों का भ्रमण भी कराया गया। डाॅ. के.एल. नंदेहा ने तिलहनी फसलों के महत्व तथा डाॅ. ए.के. सरावगी ने छत्तीसगढ़ में तिलहनी फसलों की प्रजातियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का समापन डाॅ. ए.के. कोष्ठा, प्राध्यापक कृषि अर्थशास्त्र विभाग के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में डाॅ. एम.आर. चन्द्राकर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. राजीव श्रीवास्तव ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डाॅ. ओ.पी. कश्यप, कार्यक्रम के संयोजक, अखिल भारतीय कुसुम अनुसंधान परियोजना के प्रमख अन्वेषक डाॅ. अनिल वर्मा सहित अन्य प्राध्यापक एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।