मोबाइल फोन की लत से लेकर प्यार तक में एक लड़की समेत 4 नाबालिग जान दे चुके;
भोपाल में ऑनलाइन गेम के खेलने के लिए एक नाबालिग ने मां की साड़ी से फांसी लगा ली। 8 दिन तक अस्पताल में इलाज चला, लेकिन वह जिंदगी की जंग हार गया। मां ने ऑनलाइन गेम की लत छुड़ाने के लिए उसका मोबाइल फोन रिचार्ज नहीं कराया था। इससे वह नाराज था। ऐसी ही छोटी-मोटी बातों पर बीते कुछ महीने में एक युवती समेत 4 नाबालिग के खुदकुशी के मामले में सामने आए हैं। चारों ही मामलों में पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
केस – 1: मां ने लत छुड़ाने के लिए रिचार्ज नहीं कराया, उसने दुनिया ही छोड़ दी
बाणगंगा में रहने वाले 16 साल के विनय रजक का 8 दिन से अस्पताल में इलाज चल रहा था। उसने 6 जुलाई को घर में मां की साड़ी के फंदे से फांसी लगाई थी। पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि वह मोबाइल फोन पर ऑनलाइन गेम खेलता था। दिन भर उसी में लगा रहता था। रिचार्ज खत्म होने के कारण उसने मां से फोन रिचार्ज करने को कहा। मां ने उसकी लत छुड़ाने के लिए फोन को रिचार्ज कराने से मना कर दिया था। इसी से नाराज होकर उसने फांसी लगी ली थी। हालांकि पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। इलाज के दौरान बुधवार की रात विनय ने दम तोड़ दिया।
घर में पैसे की इतनी कमी नहीं थी कि विनय का फोन रिचार्ज न करवा पाएं। हम सब तो उसकी आदत सुधारना चाहते थे। वह हमेशा ऑनलाइन गेम में ही लगा रहता था। घर में सब ठीक रहे, इसलिए मैं, पापा और मां मिलकर थोड़ा-थोड़ा कमाते हैं। सोचा था कि विनय भी आगे चलकर हमारी मदद करेगा। मां ने उसका फोन इसलिए रिचार्ज नहीं करवाया ताकि वह ऑनलाइन गेम से थोड़ी दूरी बना लें। क्या पता था कि वह इतनी सी बात पर हमें यूं छोड़ जाएगा…! मां बार-बार उसका नाम लेकर बिलख पड़ती है, पापा सुरेश की हालत भी कुछ ऐसी ही है। छोटे भाई को याद कर एक बार फिर बलराम रजक का गला भर आया। बलराम और उनका परिवार विनय को हमेशा के लिए खोकर गमगीन है। उनकी नाराजगी इस बात पर भी है कि ऐसे ऑनलाइन गेम को बंद क्यों नहीं करवा दिए जाते। इन गेम्स की लत पकड़कर आए दिन बच्चे इस तरह के कदम उठा रहे हैं।
केस-2: मां साथ नहीं गई तो बेटे ने फांसी लगा ली
19 अगस्त का दिन तो अब मेरा परिवार शायद ही कभी भूल पाए। मैं उस दिन भी काम पर गई थी। 16 साल के मेरे छोटे बेटे विजय अहिरवार ने मुझे कॉल कर कहा कि मम्मी पता है कि दूर वाले नाना खत्म हो गए हैं। मैं घर लौटी, लेकिन वहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। मैंने उससे कहा कि बेटा तू चाचा के साथ चला जा। उसने कहा-मम्मी तुम नहीं जाओगी तो मैं भी नहीं जाऊंगा। फिर मैं इलाज के लिए बेटी को डॉक्टर के पास ले गई। मां मालती कहती हैं कि मैं थोड़ी देर बाद लौटी तो विजय ने फांसी लगा ली थी। उसे गुजरे इतने दिन बीत गए, लेकिन हम ये नहीं जान पाए कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि वह हमें हमेशा के लिए छोड़ गया? ये सवाल जहन में बार-बार कौंधता है।
विजय की मौत के दुख में मां।
केस-3: लॉकडाउन में पढ़ाई से पिछड़ा तो जिंदगी की डोर ही तोड़ दी
उसे तो टाई की नॉट भी बांधनी नहीं आती थी, न जाने फंदा कैसे बांध लिया। आदित्य श्रीवास इकलौता बेटा था। दसवीं में 94% और 11वीं में 91% अंक लाया था। उसकी पढ़ने की ललक देखकर लगा था कि हमारा जीवन सुधर जाएगा। 9 फरवरी की सुबह न जाने क्यों उसने फांसी लगा ली। सुसाइड नोट में लिखा- लॉकडाउन में मैं पढ़ाई में पिछड़ गया हूं, रिकवर नहीं कर पा रहा हूं। सॉरी…मम्मी-पापा। उसे फंदे पर देख महसूस हुआ कि सब कुछ खत्म हो गया। मां सीमा कहती हैं कि उसके पापा घनश्याम बेटे की पढ़ाई के लिए रात 12 बजे तक ठेला लगाते थे। अब उनका भी काम में मन नहीं लगता।
आदित्य श्रीवास इकलौता बेटा था। दसवीं में 94% और 11वीं में 91% अंक लाया था।
केस-4: कहासुनी पर कर ली आत्महत्या
टीला जमालपुरा में रहने वाली 10वीं की छात्रा ने अपने कमरे में फांसी लगा ली। 18 साल की आकांक्षा ने बुधवार दोपहर खुदकुशी की। बताया जाता है कि उसका किसी से प्रेम प्रसंग चल रहा था। पुलिस को आशंका है कि दोनों के बीच कुछ कहा-सुनी हुई होगी। इस कारण उसने यह कदम उठाया। हालांकि पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। ऐसे में पुलिस अभी ज्यादा कुछ बोलने से बचती नजर आ रही है।