ये योग बनाते हैं महिला को रानी, उच्च पद पर रहते हैं उनके पति
आज से सैंकड़ों वर्ष पहले महिलाओं की कुंडलियों के राजयोगों का फल केवल उनके पतियों को ही मिलता था। इसी कारण आचार्य वराह मिहिर ने अपने ‘वृहज्जातक’ ग्रंथ में कहा है कि स्त्री की जन्म कुंडली के योगों का फल पुरुष को ही प्राप्त होता है, वह अपने पति अथवा संरक्षक के माध्यम से ही फल को प्राप्त करती है परन्तु आज स्थिति भिन्न है, आज जीवन और व्यवसाय के किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं हैं। अत: अपनी जन्मकालीन ग्रह स्थिति के अनुसार वे भी स्वतंत्र रूप से उनका उपयोग कर सकती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिन महिलाओं की कुंडली में राजयोग होता है वे आई.ए.एस. ऑफिसर सरलता से बन जाती हैं या राजनीति में आकर सफलता प्राप्त करती हैं। महिलाओं संबंधी कुछ राजयोग यहां प्रस्तुत हैं।
जन्म लग्र में बृहस्पति हो और सप्तम भाव में चंद्रमा हो तथा दशम भाव में अपने वर्ग का शुक्र बैठा हो तो निश्चित ही महिला राजपत्रित अधिकारी अथवा उच्च शासनाधिकारी की पत्नी अथवा राजनीति में आकर मंत्रीत्व पद प्राप्त करती है। बलवान बृहस्पति केंद्र स्थान प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में बैठा हो तथा बली चंद्रमा बृहस्पति को देखें, अर्थात गुरु और चंद्र बलवान होकर केंद्र स्थानों में एक-दूसरे से सातवीं राशि में बैठे हों तो उत्तम राजयोग बनता है।
जन्म कुंडली के केंद्र स्थान 1, 4, 7 और 10वें भावों में शुभ ग्रह चंद्र, बुध, गुरु और शुक्र स्थित हों तथा कुंडली के 3, 6, 11 भावों मे पाप ग्रह सूर्य, मंगल व शनि ग्रह बैठे हों, तथा सप्तम भाव में पुरुष राशि अर्थात मेष, मिथुन, सिंह, तुला धनु या कुंभ राशि में से कोई राशि हो तो ऐसी महिला रानी होती है अथवा आज के युग में मंत्री पद प्राप्त करती है या आई.ए.एस. अधिकारी बनती है।
यदि लग्नभाव में चंद्रमा, दशम राज्यभाव में बुध तथा एकादश ग्यारहवें लाभ भाव में सूर्य हो तो भी राजयोग बनता है।
यदि लग्र भाव में उच्च का बुध कन्या राशि के 15 अंक तक हो, द्वितीय धन भाव में शुक्र बैठा हो, दशम राज्य भाव में चंद्र तथा एकादश लाभ भाव में गुरु हो तो महिला बहुत ऐश्वर्यशाली होती है। यह योग महिलाओं के कन्या लग्र की कुंडली में ही बनता है।
ग्यारहवें भाव में चंद्रमा बैठा हो तथा लग्र से सप्तम भाव में बुध और शुक्र एक साथ बैठे हों, साथ ही यदि गुरु ग्रह लग्र में, तृतीय में, या एकादश ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसी महिला का प्रबल राजयोग बनता है। विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा की सदस्य होकर मंत्री पद भी प्राप्त कर सकती है।
महिला की कुंडली में कर्क लग्र में गुरु हो अथवा मीन लग्र में शुक्र हो तथा कन्या राशि में बुध हो और सप्तम भाव में मकर राशि का मंगल बैठा हो तो राजयोग होता है।
कर्क लग्र हो तथा सातवें स्थान में चंद्रमा हो और केंद्र स्थान 1, 4, 7, 10, इन भावों में कोई पापग्रह न हो तो राजयोग होता है। ऐसी महिला को अनेक हाथी-घोड़ों का सुख प्राप्त होता है। अर्थात कार, जीप, हैलीकाप्टर आदि उत्तम श्रेणी के वाहन सुख से युक्त रहती हैं। शत्रुओं को जीतने वाली अर्थात आज के युग में चुनावों में हमेशा विजयश्री प्राप्त करने वाली होती है।
जिस महिला की पत्रिका में गुरु ग्रह कर्क, धनु या मीन राशि में होकर केंद्र या त्रिकोण स्थान अर्थात 1, 4, 7, 10 या 0, 5, 9 भावों में बैठा हो तो वह राजयोग से युक्त होकर अपने मातृकुल तथा श्वसुर कुल दोनों की बहुत उन्नति करने वाली होती है।
जिस महिला का कुंभ लग्र में जन्म हो तथा चौथे भवन में वृषभ राशि का चंद्रमा हो और गुरु यदि द्वादश भाव में मकर राशि का हो या वृश्चिक राशि का राज्यभाव में हो या कन्या राशि का गुरु अष्टम भाव में होकर चंद्र को देखे तो राजयोग बनता है।
यदि वृषभ स्थित लग्र में जन्म हो तथा इसमें उच्च का चंद्रमा बैठा हो और इसके साथ बुध बैठा हो या बुध के द्वारा चंद्रमा देखा जा रहा हो, साथ ही लाभ भाव अर्थात ग्यारहवें भाव में शुक्र हो तो ऐसी महिला हाथियों की सवारी करती है अर्थात हैलीकाप्टर आदि की सुविधा प्राप्त करती है। जिस महिला को शुक्र-मंगल का संबंध हो तथा सूर्य से दृष्ट हो तो वह सर्जन-डाक्टर बनती है।
इनके अलावा भी बहुत सारे योग ज्योतिष शास्त्र में गिनाए गए हैं। इन योगों में जन्म होने पर देश, काल, वातावरण के अनुसार या तो महिला स्वयं उच्च पद प्राप्त करती है अन्यथा महिला का पति उच्च पद पर रहता है और महिला को उसका सुख प्राप्त होता है।