योगी मंडल से बर्खास्त हुए राजभर, 6 महीने पहले ही लिखनी शुरू हुई विदाई स्क्रिप्ट

लखनऊ । सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुबासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर बीजेपी के लिए सरदर्द बन गए थे। जिसके चलते उन्हें योगी मंडल से बर्खास्त कर दिया गया है। भले ही राजभर की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की सिफारिश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को की हो, परंतु इसकी पूरी स्क्रिप्ट 6 महीने पहले ही लिखनी शुरू हो गई थी। सूत्रों के अनुसार बीते साल नवंबर में गाजीपुर महाराजा सुहेलदेव पर एक डाक टिकट जारी करने के लिए कार्यक्रम हुआ था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। वहीं कार्यक्रम में आमंत्रण मिलने के बावजूद ओमप्रकाश राजभर नहीं पहुंचे थे। इसी दिल से उनकी विदाई की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। अपनी बर्खास्तगी के फैसले का स्वागत करते हुए राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सही फैसला किया है। राजभर ने कहा कि उन्होंने मंत्री रहते हुए लगातार पिछड़ों के अधिकार की बात उठाई है। यही बात मुख्यमंत्री को नागवार गुजरी। उन्होंने कहा कि मैं पिछड़ा कल्याण वर्ग का मंत्री था और मेरा कर्तव्य था कि मैं उसकी बात उठाता। परंतु मुख्यमंत्री के पास समय नहीं था।। ओमप्रकाश राजभर खुद यूपी मे  राजभर समाज के बीच अकेले बैठे नेता के तौर पर पेश करते रहे। अनिल राजभर को होमगार्ड राज्य सर्विस (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। ऐसे में बीजेपी ने इस समाज के अपने नेताओं को भी तवज्जो देकर आगे लाना शुरू किया।
बता दें कि तीन चार महीनों से राजभर बीजेपी के लिए सरदर्द बने हुए थे। दरअसल लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर असहमति होने के बाद 13 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया गया और बीजेपी के खिलाफ 39 सीट के प्रत्याशी डाल दिया थे। इसके बाद वह लगातार कह रहे थे कि मुख्यमंत्री इस्तीफे को मंजूर नहीं कर रहे हैं, परंतु 19 मई को चुनाव खत्म होने के दूसरे दिन ही मुख्यमंत्री ने उनके उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश की। 19 मई को चुनाव खत्म होने के दूसरे दिन ही मुख्यमंत्री ने उनकी बर्खास्तगी की शिकायत कर दी एवं सुभासपा के 6 सदस्यों को हटा दिया, जिन्हें निगमों में नियुक्ति की गई थी।

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