रामसेतु प्राकृतिक या मानव निर्मित: ICHR करेगा रिसर्च, सुलझेगा रहस्य!
रामसेतु प्राकृतिक है या इसे किसी इंसान ने बनाया है इस रहस्य को सुलझाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR) शोध करेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाला ICHR
रामसेतु की वास्तविकता जानने के लिए पायलट प्रॉजेक्ट शुरू करेगा।
ICHR के चेयरमैन वाई सुदर्शन राव ने बताया कि रामसेतु पर पायलट प्रॉजेक्ट अक्टूबर में शुरू किया जाएगा और यह दो महीने तक चलेगा। इसके बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उसका पेपर पब्लिश किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'अभी तक किसी ने रामसेतु को लेकर सबूत एकत्र नहीं किए हैं। इस पायलट प्रॉजेक्ट में मरीन आर्कियॉलजिस्ट की मदद से मटीरियल एविडंस सामने लाने की कोशिश की जाएगी।'
दो महीने का शोध असम स्थित सिल्चर यूनिवर्सिटी के आर्कियॉलजी के प्रोफेसर व भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व निदेशक आलोक त्रिपाठी की अध्यक्षता में शुरू होगा। रिसर्च स्कॉलर्स के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन निकाला जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत यूनेस्को से गोताखोरी का लाइसेंस लेने के बाद पुद्दुचेरी में पानी के नीचे कोर्स भी करवाया जाएगा।
उन्होंने बताया, 'यह पूरा प्रॉजेक्ट असम की सिल्चर यूनिवर्सिटी में आर्कियॉलजी के प्रफेसर आलोक त्रिपाठी की देखरेख में होगा। प्रफेसर त्रिपाठी ASI के डायरेक्टर रह चुके हैं। इस पायलट प्रॉजेक्ट के लिए रिसर्च स्कॉलर का चयन राष्ट्रीय स्तर पर सिलेक्शन प्रकिया के जरिए होगा, जिन्हें जून में दो हफ्ते की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।'
ICHR के मेंबर सेक्रटरी आनंद शंकर सिंह ने बताया, 'ICHR दिल्ली में 27 से 29 मार्च तक तीन दिन का सेमिनार भी करने जा रहा है जिसमें डार्क पीरियड की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की जाएगी। इसमें ईसा पूर्व 10 लाख साल पहले भारत में सिविलाइजेशन और कल्चर के विकास की बात होगी।' इस सेमिनार में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज के डायरेक्टर डेविड फ्रॉली सहित ASI के पूर्व डीजी बीबी लाल सहित 26 स्कॉलर अपने रिसर्च पेपर पेश करेंगे।
आपको बता दें कि रामसेतु दक्षिण भारत के रामेश्वरम के निकट पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट से दूर मन्नार तक के बीच चूनापत्थर से बना हुआ है।