लंदन हादसाः लोग खिड़कियों से बच्चों को फेंक रहे थे-चश्मदीद
मेरे चारों ओर इमारत के टुकड़े गिर रहे थे, अचानक मैं एक गर्म मेटल के टुकड़े से टकराई। मैं बस लोगों पर चीख रही थी कि वो बाहर निकलें। और वो लोग मुझे चिल्ला कर बता रहे थे कि कॉरिडोर में धुंआ भर गया है। मुझे लगता है कि उन्हें लगा कि इमारत में फायर ब्रिगेड पहुंच चुकी है। जैसे-जैसे आग बढ़ रही थी मैं देख रही थी कि फायर ब्रिगेड के लोग भी वहां पहुँच चुके हैं क्योंकि मैं इमारत के भीतर से फ्लैशलाइट देख सकती थी। लेकिन केवल चौथी मंजिल तक। मुझे नहीं लगता कि वो लोग चौथी मंजिल से ऊपर भी गए होंगे क्योंकि शायद ऐसा करना असंभव हो गया होगा। लोग अपनी खिड़कियों से अपने फोन की टॉर्च जला कर दिखा रहे थे और पूरी इमारत धुंए और आग की लपटों में घिरी थी। मुझे लगता है कि इमारत में बहुत सारे लोग थे लेकिन ज्यादा लोग बाहर निकल नहीं पाए।
तमारा बाहर थीं- '15 मिनटों में टॉवर धू-धू कर जलने लगा'
लोग खिड़कियों से अपने बच्चों को बाहर फेंक रहे थे। वो कह रहे थे, 'बस मेरे बच्चों को बचा लो'। वहां फायर ब्रिगेड थी, पुलिस एंबुलेंस थी, लेकिन कोई कुछ कर नहीं पा रहे थे क्योंकि वो अंदर जा नहीं पा रहे थे। वो कह रहे थे कि जहां हो वहीं रहो हम फिर आकर आपको निकालेंगे। लेकिन आग ज्यादा तेजी से फैल रही थी, उनके पास काम बहुत था, वो जल्दी लौट नहीं पाए।
और 15 मिनटों में पूरी इमारत धू-धू कर जलने लगी, लोग अब भी खिड़कियों पर खड़े चीख रहे थे- 'हेल्प मी, हेल्प मी'
महाद चौथी मंजिल से बच्चों को लेकर भागे
आप देख सकते थे कि जहां वो थे वहां आखिरी कमरे में भी आग आ गई थी। मैंने अपनी पत्नी को बताया। मैं चिल्ला रहा था, आग लग गई है, जल्दी बाहर निकलो। हमने कुछ तौलिए गीले किए और बच्चों के कमरे में गए और उन्हें पूरी तरह से तौलिए में लपेट कर बाहर की तरफ भागे। वहां इतना घना अंधेरा था, इतना धुंआ था, कुछ लोग सीढ़ियों से नीचे की तरफ दौड़ रहे थे, कुछ लोगों के हाथों में बक्से थे, वहां हर तरफ अफरा-तफरी मची हुई थी।
पॉल 7वीं मंजिल से बच कर निकले
मैं फायर अलार्म सुन कर बाहर नहीं निकला। मैंने इमारत के नीचे देखा, लोग चीख रहे थे। वो दूसरों से कह रहे थे 'नीचे मत कूदो, इमारत से नीचे मत कूदो।'सच कहूं तो मुझे नहीं पता कि क्या वाकई लोग अपनी जान बचाने के लिए इमारत से नीचे कूद रहे थे या नहीं। लेकिन इस घटना के बारे में मैं कह सकता हूं कि इमारत के फायर अलार्म बजे ही नहीं।इमारत में रहने वाली सांड्रा रुईज़ आग से बच कर बाहर निकलीं। उन्होंने बताया- 'बाहर कई लोग बैठे हुए थे और खोए-खोए दिख रहे थे। उन्होंने कहा कि जो लोग उनकी मदद के लिए यहां आए हैं वो कोशिश कर हैं कि किसी तरह से उनकी मदद कर पाएं।