लक्ष्मीबाई की शहादत से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक के लिए फाइटर जेट की उड़ान इस शहर की शान

ग्वालियर. गालब ऋषि की तपोभूमि ग्वालियर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का एक ऐसा शहर जो अपने ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामरिक तीनों महत्व के लिए जाना जाता है. रानी लक्ष्मीबाई की शहादत इस शहर आन-बान और शान है. ग्वालियर (Gwalior) का विकास करने वाले राजा मान सिंह तोमर से लेकर देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी तक की पहचान इस शहर से है. इसे राजा मानसिंह तोमर ने बनाया और सिंधिया राजवंश ने विकसित किया. ग्वालियर मध्य प्रदेश के उत्तरी इलाके में स्थित है. 20 लाख की आबादी वाला ग्वालियर शहर देश के प्रमुख शहरों से हवाई रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. इसके आसपास स्थित भिंड-मुरैना के इलाके अपने बीहड़ों और डकैत समस्या के लिए पहचाने जाते हैं. ग्वालियर के प्रमुख पर्यटन स्थल

ग्वालियर किला

ग्वालियर किला देश के प्रमुख किलों में शुमार है. आठवीं शताब्दी में राजा मानसिंह तोमर ने इस किले का निर्माण कराया था. करीब 3 किलोमीटर इलाके में फैले ग्वालियर किले में मानसिंह महल, करण महल, सास बहू का मंदिर, सूरजकुंड देखने लायक स्थल हैं. इसका ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है कि यहां औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह को कैद करके रखा था.

जय विलास पैलेस

जय विलास पैलेस देश के प्रमुख महलों में एक गिना जाता है. 450 कमरों वाले जयविलास पैलेस का निर्माण सन 1874 में जयाजीराव सिंधिया ने कराया था. अब जय विलास पैलेस के 35 कमरों में एक संग्रहालय स्थापित किया गया है, बाकी हिस्सा राज परिवार के सदस्यों के निवास स्थल के रूप में उपयोग होता है.

तानसेन का मकबरा

अकबर के नवरत्नों में एक माने जाने वाले संगीत सम्राट तानसेन का मकबरा दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के लिए तीर्थ स्थल की तरह है. तानसेन मकबरा पर हर साल अखिल भारतीय तानसेन अलंकरण समारोह आयोजित होता है.

महारानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल

ग्वालियर के फूलबाग इलाके में महारानी लक्ष्मी बाई का समाधि स्थल है. यह स्थल देशवासियों के लिए तीर्थ की तरह है. 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से लोहा लेते हुए इसी स्थल पर शहीद हुई थीं. रानी की शहादत की याद में यहां समाधि बनायी गयी और घोड़े पर बैठी रानी की एक विशाल प्रतिमा भी यहां स्थापित की गई है. हर साल 18 जून को यहां वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला आयोजित होता है.

गुजरी महल

गुजरी महल राज मानसिंह तोमर और गुजरी रानी मृगनयनी की प्रेम कहानी की निशानी है. ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर ने अपनी गुजरी रानी की लिए इस महल का निर्माण कराया था. किले की तलहटी में 1486 से लेकर 1516 तक गुजरी महल बनवाया गया था. महल में गुजरी रानी के लिए राई गांव से नदी का पानी लाने के लिए पाइप लाइन बिछाई गई थी.
ग्वालियर में कई शख्सियत हुई हैं जिन्होंने शहर को न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में भी पहचान दिलाई है. राजा मानसिंह तोमर, जयाजीराव सिंधिया, अटल बिहारी वाजपेई , राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया, निदा फाजली, उस्ताद अमजद अली खान, कार्तिक आर्यन और पीयूष मिश्रा.

यातायात के साधन

ग्वालियर शहर उत्तर को सीधे दक्षिण से जोड़ने वाले रेल मार्ग पर स्थित है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद जैसे शहरों से सीधी हवाई सेवा ग्वालियर के लिए उपलब्ध है. ग्वालियर से आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग, ग्वालियर-झांसी राष्ट्रीय राजमार्ग से देश के कई शहरों से जुड़ा है.

खानपान

ग्वालियर में खानपान को लेकर लोगों की दीवानगी नजर आती है. ग्वालियर के बहादुरा का लड्डू देश दुनिया में प्रसिद्ध है तो वहीं बेस्ट का नमकीन अटल जी का पसंदीदा रहा है. ग्वालियर मुरैना की गजक का स्वाद भी सब को अपना दीवाना बनाता है.वहीं होटलों पर मिलने वाली बेड़ाई, कचोरी और समोसा भी लोगों को खूब भाता है. ग्वालियर में ग्वालियर व्यापार मेला, अखिल भारतीय तानसेन संगीत समारोह, वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेला अपनी पहचान बना चुके हैं.

सामरिक महत्व

ग्वालियर सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.यहां देश का महत्वपूर्ण एयऱफोर्स स्टेशन स्थित है. यहां कई लड़ाकू विमान हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान लड़ाकू विमानों ने यहीं से उड़ान भरी थी.ग्वालियर में मिलिट्री का भी एक बड़ा कैंप है.यहां करीब 10,000 फौजी देश की सेवा के लिए तैयार रहते हैं.

टेकनपुर में बीएसएफ अकादमी

टेकनपुर सीमा सुरक्षा बल का भी महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां बीएसएफ की ट्रेनिंग अकादमी है. इसमें बीएसएफ के जांबाज सिपाही से लेकर अधिकारी तक को प्रशिक्षण दिया जाता है. एक बात और ये कि ग्वालियर के नया गांव में सीआरपीएफ का भी कैंप है. यहां सीआरपीएफ के करीब 4000 जवान तैनात हैं. यहां प्रशिक्षण के साथ आपातकाल के लिए CRPF का मूवमेंट भी होता है.
 

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