लाल किले को निजी हाथों में सौंपे जाने पर लाल-पीला हुआ विपक्ष, सरकार ने दी सफाई
नई दिल्ली, ऐतिहासिक विरासतें पूरे देश की साझा विरासतें होती हैं, लाल किला भी ऐसी ही ऐतिहासिक इमारत है जिसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं शताब्दी में करवाया था. सरकार ने अब लाल किले का ठेका डालमिया ग्रुप को दे दिया है. लोगों को समझ ही नहीं आ रहा कि सरकार लाल किले का ठेका किसी प्राइवेट कंपनी को कैसे दे सकती है.
लाल किले को निजी कंपनी को सौंपे जाने के विपक्षी दलों की आलोचनाओं के बीच पर्यटन मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि डालमिया भारत लिमिटेड के साथ हुआ समझौता 17वीं शताब्दी के इस स्मारक के अंदर और इसके चारों ओर पर्यटक क्षेत्रों के विकास एवं रख-रखाव के लिए है.
डालमिया भारत समूह एमओयू के तहत स्मारक की देखरेख करेगा और इसके इर्द-गिर्द आधारभूत ढांचा तैयार करेगा. पांच वर्ष के दौरान इसमें 25 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. कांग्रेस, माकपा और टीएमसी जैसी विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर देश की स्वतंत्रता के प्रतीकों को आभासी तौर पर कॉरपोरेट घराने को सौंपने का आरोप लगाया है. वहीं मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि सहमति पत्र (एमओयू) लाल किला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रख-रखाव और विकास के लिए है.
विपक्षी दलों ने साधा निशाना
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की आजादी के प्रतीक लाल किले को कॉरपोरेट के हाथों बंधक रखने की तैयारी कर रहे हैं. क्या मोदी जी या भाजपा लाल किले का महत्व समझती हैं. उन्होंने कहा, क्या यह सच नहीं है कि यह निजी कंपनी लाल किला देखने के लिए टिकट जारी करेगी. सुरजेवाला ने कहा कि क्या आप लाल किला जैसे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक को रख-रखाव के लिए अपने कॉरपोरेट दोस्तों को दे सकते हैं?
ममता बनर्जी ने बताया इतिहास का काला दिन
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, क्या सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल किले की देखभाल भी नहीं कर सकती? लाल किला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है. यह ऐसी जगह है जहां स्वतंत्रता दिवस पर भारत का झंडा फहराया जाता है. इसे क्यों लीज पर दिया जाना चाहिए? हमारे इतिहास में निराशा और काला दिन है.
लाल किले को डालमिया भारत लिमिटेड ने लिया गोद
माकपा ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि डालमिया समूह ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 'वे शुरुआत में पांच साल के लिए इसके मालिक होंगे. समझौता उन्हें डालमिया ब्रांड का प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता देता है. पार्टी ने कहा कि इसके पास स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के दौरान और संकेतक बोर्डों पर सभी तरह की प्रचार सामग्री में अपने ब्रांड के नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है. उसे प्रमुख से प्रदर्शित संकेतक बोर्ड में यह घोषणा करने की अनुमति होगी कि लाल किले को डालमिया भारत लिमिटेड ने गोद ले लिया है.
गौरतलब है कि लाल किले को ठेके पर देने को लेकर केंद्र सरकार की खूब आलोचना हो रही है. लोग कह रहे हैं कि राष्ट्रीय धरोहर को किसी प्राइवेट कंपनी को गोद दे देना जायज़ नहीं है.