लोकतंत्र में लुटियंस दिल्ली किसकी? बीजेपी और कांग्रेस का सबसे अधिक कब्ज़ा: RTI

नई दिल्ली, लुटियंस जोन की पहचान है आलीशान बंगले, गुलमोहर की कतार वाले मार्ग, कोई भीड़ भड़क्का नहीं, कोई प्रदूषण नहीं. यानी देश की राजधानी के बाकी इलाकों को रोज जिन हालात से सामाना करना पड़ता है, उससे लुटियंस की दिल्ली बिल्कुल अलग नजर आती है.     


करीब एक सदी पहले 30 के दशक में लेखक रॉबर्ट बायरॉन ने लुटियंस दिल्ली के लिए 'इतिहासविदों के लिए रहस्य' बताते हुए इसकी तारीफ की थी. अब आते हैं 2018 यानी आज पर. यहां के खूबसूरत लैंडस्केप आसपास के बेतरतीब इलाकों में रहने वाले आम लोगों के लिए स्वप्नलोक से कम नहीं.   


आरटीआई याचिकाओं के जरिए पूछे गए सवालों के जो जवाब शहरी प्राधिकरणों ने दिए हैं उन्होंने इस पहेली को सुलझाने की जगह और जटिल बना दिया है कि सरकार के नियंत्रण वाली भव्य लुटियंस संपत्तियों को किस तरह आवंटित किया जाता है.


जवाबों से ये संकेत मिलता है कि 25 वर्ग किलोमीटर में फैले लुटियंस बंगला जोन में संपत्तियों को आवंटित करते समय कोई आदर्श मानकों का पालन नहीं किया जाता.  


आम नागरिक तो छोड़िए राजनीतिक ग्रुपों के लिए भी एक जैसी किराया नीति नहीं है. कागज पर हर राष्ट्रीय पार्टी को दिल्ली में सरकारी जमीन पर तीन साल के लिए दफ्तर चलाने का हक है. तीन साल के बाद इन पार्टियों को अपने दफ्तर को निजी स्वामित्व वाली जगह ले जाना होता है.  


राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को भी दिल्ली में आवास पाने का हक है बशर्ते कि उसके पास पहले से कोई भी आवास किसी भी हैसियत में मौजूद ना हो. देश की दो बड़ी पार्टियों- कांग्रेस और बीजेपी के मामले में शहरी विकास मंत्रालय के नियमों में ढिलाई देने में जमकर दरियादिली दिखाई गई. 


लुटियंस दिल्ली में कांग्रेस के चार आवास


केंद्र सरकार के संपदा निदेशलाय की ओर से मिले सरकारी जवाब के मुताबिक कांग्रेस के पास लुटियंस दिल्ली में चार आवास हैं-


24, अकबर रोड


26, अकबर रोड


5, रायसीना रोड


C-11/109, चाणक्यपुरी


कांग्रेस मुख्यालय के लिए '24, अकबर रोड'  को 1992 में आवंटित किया गया था. '26, अकबर रोड'  कांग्रेस के फ्रंटल संगठन सेवा दल का  दफ्तर है. वहीं '5, रायसीना रोड' पर युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के दफ्तर हैं. चाणक्यपुरी के बंगले को पार्टी के पदाधिकारियों के आवास के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.


वर्ष 2015 में कांग्रेस को चारों पतों को खाली करने के लिए सरकारी नोटिस जारी किए गए. असलियत में उनके आवंटन भी रद्द कर दिए गए. इसके बावजूद चारों पतों पर कांग्रेस का कब्जा अब भी बना हुआ है. सरकार के जवाब के मुताबिक कांग्रेस '24, अकबर रोड'  के लिए हर महीने 3,920 रुपए किराए का भुगतान कर रही है.


लुटियंस दिल्ली में बीजेपी के हैं 2 बंगले


बीजेपी की बात की जाए तो लुटियंस जोन में इस पार्टी के पास दो बंगले हैं-


'11, अशोका रोड'


'14, पंडित पंत मार्ग.'


'11, अशोका रोड' के पते पर पहले बीजेपी का मुख्यालय हुआ करता था. वहीं '14, पंडित पंत मार्ग' पर पार्टी की दिल्ली इकाई का दफ्तर है.   


संपदा निदेशालय की ओर से मिले दो जवाबों में '11, अशोका रोड' के लिए दो अलग-अलग किराए बताए गए हैं. मार्च के जवाब में मासिक किराया 3,920 रुपए बताया गया है. वहीं अप्रैल के दूसरे जवाब में संपत्ति का मासिक किराया 78,921 रुपए बताया गया है.


एनसीपी और बीएसपी के दफ्तर भी सरकार की ओर से मुहैया कराए गए बंगलों में स्थित हैं. तृणमूल कांग्रेस आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन इसे अभी तक दिल्ली में दफ्तर के लिए जगह आवंटित नहीं हुई है. वहीं समाजवादी पार्टी राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पार्टी है लेकिन इसे दिल्ली में 1993 में ही दफ्तर के लिए जगह '18, कॉपरनिकस लेन' मिल गई थी. 31 जुलाई, 2014 के सरकारी सर्कुलर के मुताबिक कोई भी राज्य स्तरीय पार्टी दिल्ली में सरकारी एस्टेट में दफ्तर की जगह पाने की हकदार नहीं है.


जहां तक लेफ्ट का सवाल है तो सीपीआई और सीपीएम दोनों राष्ट्रीय पार्टियां हैं लेकिन दिल्ली में इन्होंने खुद की तरफ से दफ्तरों का इंतजाम कर रखा है.


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