लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद आएगा कैप्टन-सिद्धू की ‘जंग’ का रिजल्ट, नवजोत की बढ़ सकती मुश्किलें

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच शुरू हुई 'जंग' का नतीजा लोकसभा चुनाव परिणाम के आद आने के आसार हैं। फिलहाल कांग्रेस की राज्य इकाई ने इस मामले को पार्टी हाईकमान तक नहीं पहुंचाया है। लेकिन इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।
पता चला है कि राज्य इकाई नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान कैप्टन और कांग्रेस पर की गई टिप्पणियों और बयानों के वीडियो क्लिप एकत्र कर रही है, जिन्हें सबूत के तौर पर हाईकमान को सौंपा जाएगा। राज्य इकाई फिलहाल लोकसभा चुनाव के परिणाम के इंतजार में है।

इसके बाद वह इस संबंध में एक रिपोर्ट पंजाब मामलों की पार्टी प्रभारी आशा कुमारी को सौंपेगी। उधर, आशा कुमारी ने मंगलवार को कहा कि पूरे मामले में अब तक न तो हाईकमान ने कोई रिपोर्ट मांगी है और न ही राज्य इकाई ने कोई रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा कि राज्य इकाई जो रिपोर्ट उन्हें देगी, उसे वे हाईकमान तक पहुंचा देंगी। आगे फैसला हाईकमान को ही लेना है।
परिणाम भी तय करेंगे विवाद का हल
माना जा रह है कि लोकसभा चुनाव परिणाम भी इस पूरे विवाद का हल तय करेंगे। अब तक के एग्जिट पोल पंजाब में कांग्रेस की शानदार जीत दिखा रहे हैं। अगर चुनाव परिणाम भी ऐसे ही आए तो राज्य में कांग्रेस की जीत का सेहरा कैप्टन के सिर ही बंधेगा और हाईकमान के समक्ष भी उनका कद और बढ़ जाएगा। लेकिन, अगर चुनाव परिणाम अपेक्षित न आए तो संभव है कि नवजोत सिद्धू फिर से कैप्टन के खिलाफ अपने हमले तेज कर दें।

हालांकि नुकसान के लिए सिद्धू के सिर ही ठीकरा फोड़ा जाएगा कि उनकी बयानबाजी ने पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुंचाया। फिलहाल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को उनकी लगभग पूरी कैबिनेट का समर्थन मिला हुआ है और राज्य के अनेक मंत्री सिद्धू के बयानों की आलोचना करते हुए उनके इस्तीफे की मांग उठा चुके हैं।
कई मंत्री कर चुके हैं सिद्धू के बयानों की आलोचना
राज्य के मंत्री यह भी आरोप लगा रहे हैं कि सिद्धू ने चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा विवाद उठाकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। खास कर सिद्धू के उस बयान ने, जिसमें उन्होंने कैप्टन अमरिंदर और बादल परिवार के बीच दोस्ताना मैच की बात कही थी। कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, ब्रह्म मोहिंदरा, साधू सिंह धर्मसोत, भारत भूषण आशू और तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने सिद्धू की बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।

वहीं, प्रदेश के कुछ मंत्रियों ने अब तक इस मामले में चुप्पी साध रखी है। इनमें मनप्रीत सिंह बादल, चरणजीत सिंह चन्नी, बलबीर सिंह सिद्धू के नाम प्रमुख हैं। इनके अलावा बठिंडा से चुनाव लड़ रहे विधायक राजा वड़िंग ने भी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

ऐसे में नवजोत सिद्धू के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस द्वारा हाईकमान को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट पर फैसला, लोकसभा चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा। कैप्टन और उनके साथ खड़े मंत्री अब सिद्धू का पार्टी से इस्तीफा चाहते हैं जबकि सिद्धू राहूल गांधी के करीबी हैं और पहले भी कैप्टन के खिलाफ उनके विवादित बयानों के मामलों को रफा-दफा करते रहे हैं।
मिशन-13 को सिद्धू के बयानों से नुकसान: लाल सिंह
पंजाब कांग्रेस की चुनाव प्रचार कमेटी के चेयरमैन लाल सिंह ने कहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू को अपने निजी विचारों को चुनाव के मौके पर सार्वजनिक तौर पर व्यक्त नहीं करना चाहिए था। इससे अनावश्यक गलतफहमी पैदा हुई हैं और ऐसे नाजुक मौके पर पार्टी पर इसका खराब असर होता है।

उन्होंने कहा कि सिद्धू की बयानबाजी पार्टी के मिशन-13 को नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि सिद्धू के बयान भी गलत हैं और बयानबाजी का समय भी। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी अपने मिशन-13 के आंकड़े से पिछड़ती है तो इसका कारण सिद्धू की बयानबाजी रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर सिद्धू को कैप्टन से कोई समस्या थी तो उस पर सार्वजनिक बयानबाजी के बजाए पार्टी हाईकमान के सामने उठाया जाना चाहिए था।

लाल सिंह ने कहा कि पंजाब कांग्रेस के नेताओं की चंडीगढ़ में पार्टी टिकट वितरण में कोई दखल अंदाजी नहीं है और न ही चंडीगढ़ कांग्रेस में उनका कोई प्रभाव है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक समझ रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति यह समझ सकता है कि दूसरे प्रदेश में किसी को टिकट दिलाना या रोकना, संबंधित प्रदेश इकाई के हाथ में रहता है। यह नहीं हो सकता कि कैप्टन ने दखल देकर चंडीगढ़ में नवजोत कौर सिद्धू का टिकट कटवा दिया हो।

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