वर्जिनिटी टेस्ट का विरोध करने पर परिवार का सामाजिक बहिष्कार, 4 लोगों पर मामला दर्ज़
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में कंजरभट समुदाय के एक परिवार पर वर्जिनिटी टेस्ट की प्रथा का विरोध करने पर कथित तौर पर सामाजिक बहिष्कार किए जाने के मामले में चार लोगों पर केस दर्ज़ किया गया है. एक पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है.
अंबरनाथ पुलिस थाने के अधिकारी के मुताबिक आरोपियों पर महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2016 के तहत मामला दर्ज़ कर जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस के मुताबिक इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है.
शिकायतकर्ता 29 वर्षीय विवेक तमचिकार के मुताबिक स्थानीय पंचायत ने इस प्रथा का विरोध करने पर पिछले एक साल से उनके परिवार को बहिष्कार कर रखा था. इस प्रथा के अनुसार नवविवाहिता को शादी की पहली रात के बाद अपनी वर्जिनिटी साबित करनी पड़ती है.
शिकायतकर्ता ने कहा कि जब तीन दिन पहले उनकी दादी की मौत हुई तो पंचायत के आदेशानुसार समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं लिया.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रशासन हमेशा इस तरह की प्रथाओं का विरोध करता रहा है और ऐसे मामलों में हर एक शिकायत का संज्ञान लेता है और इसलिए चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज़ किया गया है.
अभी चार महीने पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने एक सर्कुलर जारी करने का मन बनाया था जिसके तहत वर्जिनिटी टेस्ट को 'यौन हमला' घोषित कर ऐसे मामलों में उचित कानूनी सज़ा का प्रावधान बनाना था.
कंजरभट समुदाय की ये कुप्रथा कुछ सालों पहले उस वक्त लोगों के सामने आई जब इसी समुदाय की दो लड़कियों ने खुलेआम इसका विरोध किया. प्रथा के मुताबिक अगर कोई लड़की वर्जिनिटी टेस्ट में असफल रही तो उसे मारा-पीटा जाता अपने निजी लक्ष्य को प्राप्त करें ओलिम्प ट्रेड के द्वारा
इस प्रथा के खिलाफ समुदाय से कुछ पढ़े-लिखे युवा ऑनलाइन कैंपेन चला रहे हैं. वहीं महाराष्ट्र की कई महिला नेताओं ने भी इस प्रथा का विरोध करते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. इसमें शिवसेना विधायक नीलम गोरहे भी शामिल हैं.