शंगरी-ला में प्रधानमंत्री का संबोधन

संबोधन में पहली बार शामिल होगा कोई भारतीय पीएम

सिंगापुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर में शुक्रवार को रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण शंगरी-ला डायलॉग को संबोधित करेंगे। 17वें शंगरी-ला डायलॉग में प्रधानमंत्री के भाषण पर एशिया के सभी प्रमुख देशों की नजर रहेगी। यहां अपना संबोधन देने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं। एशिया पैसेफिक क्षेत्र में डिफेंस प्रोफेशनल्स को लेकर शंगरी-ला डायलॉग को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 2002 में इस डायलॉग की शुरुआत हुई थी और एशिया पैसेफिक क्षेत्र में यहां विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा होती रही है। मोदी के साथ कई अन्य राष्ट्रों के प्रमुख भी संबोधित करेंगे। चीन, कोरिया, जावा, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और दूसरे क्षेत्रीय शक्तियों के साथ यहां यूनाइटेड स्टेट्स के भी प्रतिनिधि होंगे। एशिया में लगातार बढ़ रही चीन की दखलंदाजी के बाद आईओआर (इंडियन ओशियन रीजन) में भारत की मौजूदगी बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है। जून में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की मुलाकात होने की उम्मीद है। सिंगापुर में होने वाली इस मुलाकात के पहले शंगरी-ला डायलॉग का महत्व काफी अधिक है। दक्षिण चीन सागर में लगातार चीन की घुसपैठ जारी है और वन बेल्ट वन रोड (ओबीओर) भी एशियाई देशों के लिए चिंता का कारण हैं। इन सब मुद्दों पर चर्चा और संयुक्त प्रयास से समाधान ढूंढने के लिए यह बैठक अहम है। 

एशियाई क्षेत्र में अमेरिका के प्रभाव को लेकर भी यह बैठक महत्वपूर्ण है। शंगरी-ला डायलॉग से ठीक दो दिन पहले ही यूएस पैसेफिर कमांड का नाम बदलकर इंडो पैसेफिक कमांड किया गया है। बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधि भी शामिल होने वाले हैं और एशिया में सहयोग और शांति के लिहाज से यह अहम बैठक है। दक्षिण चीन सागर में चीन अपने दखल से अन्य राष्ट्रों के लिए समस्याएं खड़ी करता रहा है। भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के दायरे में आने वाले क्षेत्र में स्वतंत्रता की वकालत करते रहे हैं। इस वार्ता का महत्व समुद्री सीमाओं में चीन के दखल को रोकने और समुद्री सीमाओं में आवागमन के तरीकों पर चर्चा के लिहाज से भी महत्व रखता है।

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