शपथ ग्रहण से पहले पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने डेढ़ घंटे तक की अहम बैठक, यह थी वजह
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को नई सरकार के गठन और शपथ ग्रहण समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की. पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष के बीच यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चली. शपथ ग्रहण से पहले इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि पीएम मोदी और अमित शाह के बीच मंत्रिमंडल को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ.
बता दें कि भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं की पिछले तीन दिनों में यह तीसरी मुलाकात है. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी और शाह ने बैठक के दौरान उन सांसदों की सूची को अंतिम रूप दिया, जो शाम को मोदी के साथ पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. मोदी और शाह ने इससे पहले मंगलवार और बुधवार को भी नई सरकार के गठन को लेकर विचार-विमर्श किया था.
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल के लिए बृहस्पतिवार को नए मंत्रिपरिषद के साथ शपथ लेंगे. इस बीच इसको लेकर रहस्य बना हुआ है कि चार प्रमुख प्रभार गृह, वित्त, रक्षा और विदेश किसे मिलेंगे. सूत्रों के अनुसार, मोदी कैबिनेट में सहयोगी दलों के कई नेताओं को मंत्री बनाया जाएगा. सूत्रों की मानें तो मंत्रिमंडल में शिवसेना और JDU से 2-2 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जबकि अकाली दल और लोक जनशक्ति पार्टी से 1-1 मंत्री बनाए जाने की संभावना है. वहीं, AIADMK से भी एक मंत्री बनाया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 68 वर्षीय मोदी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथ दिलाएंगे. इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित शीर्ष विपक्षी नेता, उद्योग जगत के दिग्गज, फिल्मी सितारे, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और बिम्सटेक सदस्य देशों के नेता मौजूद रहेंगे.
इस बीच, मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को एक लंबी बैठक की. ऐसा समझा जाता है कि इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने नये मंत्रिमंडल की व्यापक रूपरेखा तय की. उम्मीद की जा रही है कि नये मंत्रिमंडल में अधिकतर वरिष्ठ मंत्रियों को बरकरार रखने के अलावा कुछ नये चेहरों को भी शामिल किया जाएगा.
यद्यपि इसको लेकर अटकलें हैं कि शाह नयी सरकार का हिस्सा हो सकते हैं और उन्हें एक प्रमुख प्रभार दिया जा सकता है. शाह को भाजपा की रणनीति बनाने का श्रेय दिया जाता है. हालांकि उन्हें केंद्र में मंत्री पद देने के संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है. ऐसी भी अटकलें हैं कि शाह भाजपा अध्यक्ष बने रह सकते हैं क्योंकि कुछ प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव अगले एक वर्ष में होने हैं. भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि पूर्ववर्ती मंत्रिमंडल के अधिकतर प्रमुख सदस्यों को बरकरार रखा जा सकता है.
वरिष्ठ सदस्यों जैसे राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर के अपना स्थान बरकरार रखने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश के अमेठी में राहुल गांधी को हराने वाली ईरानी को एक प्रमुख प्रभार मिलने की उम्मीद है.
शपथ ग्रहण से एक दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी को पत्र लिखकर कहा कि वह खराब सेहत के चलते नयी सरकार में मंत्री पद के इच्छुक नहीं हैं. ऐसे संकेत हैं कि नये मंत्रिमंडल में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा की बढ़ती ताकत प्रतिबिंबित हो सकती है.