शरद यादव को मनाएंगे अरुण जेटली
बिहार में जेडीयू–बीजेपी गठबंधन को मजबूत करने की बागडोर अरुण जेटली ने संभाल ली है. वह थोड़ी देर में शरद यादव से मिलकर बिहार में गठबंधन के मसले पर उनसे चर्चा करेंगे.
इससे पहले नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने के फैसले पर शरद यादव के नाराज होने की खबरें आ रही थीं. यादव नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं थे. समझा जा रहा है कि उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम पद देने का जेटली ऑफर कर सकते हैं. बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद से ही शरद यादव को मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. हालांकि मंत्री बनने के लिए यादव की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
शरद यादव के बगावती तेवर की भी चर्चाएं चल रही हैं. सूत्रों के मुताबिक शरद यादव जेडीयू के कुछ सांसदों और नेताओं के साथ शाम 5 बजे बैठक करेंगे. इसमें सांसद अली अनवर, वीरेन्द्र कुमार समेत कई नेता शामिल होंगे.
बंगाल में जेडीयू नेताओं ने बगावत के संकेत दिए हैं. बता दें कि अनवर अली और केरल से जेडीयू के राज्यसभा सांसद वीरेंद्र कुमार ने बिहार में नए गठबंधन पर सवाल उठाए हैं.
ऐसा रहा है शरद यादव का राजनीतिक सफर
अब तक पूरे मामले पर शरद यादव की चुप्पी का रहस्य बरकरार है. उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. शरद का राजनीतिक सफर मध्य प्रदेश से शुरू होकर यूपी और फिर बिहार होते हुए केंद्र सरकार तक रहा है. वह इस समय जनता दल यूनाइटेड से राज्यसभा सांसद हैं. तीन बार पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं.
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक किसान परिवार में हुआ. लेकिन राजनीतिक दखल उनका बिहार में ज्यादा है. उनकी दिलचस्पी छात्र जीवन से ही राजनीति में रही है. इसी का नतीजा था कि 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वह जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. राजनीति के साथ वह पढ़ाई में भी अव्वल रहे. बीई (सिविल) में गोल्ड मेडल जीता. इसके बाद कई आंदोलनों में हिस्सा लिया.
यादव मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा) के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिए गए. उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने वाले में अहम भूमिका निभाई. यह जेपी आंदोलन के समय पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. 1977 में भी वह इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे.
1986 में वह राज्यसभा से सांसद चुने गए. 1989 में वह बिहार की राजनीति छोड़कर यूपी में आए और यहां की बदाऊं लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर तीसरी बार संसद पहुंचे. 1989-90 में टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे. अक्टूबर 1999 में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया. एक जुलाई 2001 को वह केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री चुने गए.