शिवरात्रि पर ऐसे करें रुद्राभिषेक, धन मिलेगा

रुद्राभिषेक की प्रथा बहुत ही प्राचीन है। किसी भी कार्य के शुरुआत मे अगर रुद्राभिषेक किया जाय तो वह कार्य आसानी से पूर्ण हो जाता है। रुद्राभिषेक एक प्रकार की पूजन विधि है, जिसे करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है। इस कार्य मे भगवान शिव के लिङ दूध का अभिषेक किया जाता है। दूध चढ़ते वक्त वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है जिससे भगवान शिव खुश होकर भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं। रोग एवं कष्ट से छुटकारा दिलाते हैं।

लाभ

-भगवान शिव चंद्रमा को अपने सिर पर धारण करते हैं। चंद्रमा ज्योतिष मे मन का कारक है। किसी भी प्रकार के मानसिक समस्या को दूर करने में रुद्राभिषेक सहायक सिद्ध होता है। चंद्रमा को जब क्षय रोग हुआ था तो सप्तऋषि ने रुद्राभिषेक किया था।

-अक्सर देखने मे आता है की बच्चे का जन्म लेते ही उसे छोटी-छोटी बीमारियां परेशान करती रहती हैं, जैसे सर्दी-खांसी, निमोनिया आदि। रुद्राभिषेक से यह समस्या आसानी से दूर हो जाएगी।

-गंभीर किस्म के बीमारियों को दूर करने हेतु एवं उनके होने से बचने हेतु नियमित अंतराल पर रुद्राभिषेक करवाना लाभप्रद होता है।

-कुंडली मे मौजूद ग्रह अगर मारक प्रभाव दिखा रहे हों तो उनके दुष्प्रभाव को दूर करने हेतु रुद्राभिषेक करना लाभदायक होता है।

-घर का कोई व्यक्ति नकारात्मक बाते करने लगा हो, घर की शांति मे बाधा आ रही हो। आस पड़ोस के लोगो से झगड़ा निरंतर चल रहा हो भी रुद्राभिषेक काफी लाभप्रद माना गया है।

-धन की प्राप्ति, अकाल मृत्यु एवं दुर्घटना से बचने हेतु, शत्रुता से छुटकारा, घरेलू समस्या से छुटकारा में भी रुद्राभिषेक से फायदा होता है।

-नशे से मुक्ति एवं माता का स्वस्थ्य संबंधी समस्या एवं उनके साथ हो रहे मनमुटाव दूर करने के लिए रुद्रभिषेक करना रामबाण साबित होगा।

रुद्राभिषेक कैसे करें

शुभ मुहूर्त के चुनाव के बाद योग्य विद्वानो और वेदपाठी ब्राह्मण से ही पुजा करवाएँ । क्योंकि इनमे वैदिक मंत्रों का प्रयोग होता हैं इस कारण खुद करना आसान नहीं होगा। यह शिव मंदिर मे शिव लिङ का षोडशो उपचार के साथ पूजन करने के पश्चात रुद्र अष्टाध्यायी का पाठ करते हुये दूध अथवा जल उपलब्धता के अनुसार से शिवलिङ्ग का अभिषेक किया जाता है। रुद्राभिषेक के लिए मुहूर्त का निर्धारण करने के लिए शिव वास देखना बहुत ही जरूरी होता है ।

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