शुजात बुखारी के हत्यारों में एक पाकिस्तानी भी, सभी की हुई पहचान- पुलिस

श्रीनगर।जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बुधवार को कहा कि 14 जून को कश्मीर के दो और पाकिस्तान से ताल्लुक रखने वाले एक युवक मिलकर वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की थी। 'राइजिंग कश्मीर' अखबार के संपादक बुखारी की बाइक पर सवार तीन बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। बुखारी उस वक्त अपनी कार में सवार थे। इसमें बुखारी के दो सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए।


बुखारी की हत्या के तुरंत बाद श्रीनगर के डीआईजी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया था। हत्या के दिन जिन तीन लोगों की सीसीटीवी तस्वीर पुलिस ने जारी की थी, पुलिस को उनके बारे में सारी जानकारी मिल गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 'केस को सुलझा लिया गया है और सभी हमलावरों की पहचान हो चुकी है।' उन्होंने बताया कि हमले में दो स्थानीय और एक पाकिस्तानी नागरिक शामिल था। पुलिस ने जिस पाकिस्तानी नागरिक की पहचान की है, उसका नाम नावीद जट्ट बताया है।

तीन दशक से पत्रकारिता में सक्रिय बुखारी ने करीब 15 साल तक अंग्रेजी अखबार के लिए भी काम किया है। बुखारी वे कश्मीरियों की आवाज उठाने के लिए जाने जाते रहे हैं। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है। 

बता दें, पहले खबरें आई थीं कि इस हत्या में पाकिस्तानी हाथ हो सकते हैं। जांच से जुड़े अधिकारी ने बताया था कि सीमा पार से आए आदेश के बाद आतंकियों ने  बुखारी की हत्या की थी। इस बात की ज्यादा संभावना है कि उनकी हत्या घाटी में शांति को बढ़ावा देने की उनकी कोशिशों के चलते की गई। उनके मुताबिक, ये बातें अलगाववादी और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर के जमियत-ए-इस्लामी नेताओं को नागवार गुजरी। उन्होंने बताया था, “हमने आरोपियों को लेकर सीधी जांच की है। हत्यारे की पहचान कर ली गई है।” 

जम्मू कश्मीर पुलिस ने पाकिस्तानी पत्रकार और कार्यकर्ता इरशद महमूद के 16 जून को किए गए फेसबुक पर उर्दू पोस्ट को बेहद गंभीरता से लिया। महमूद राइजिंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी के करीबी थे।  अधिकारियों के मुताबिक, दुबई में आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में शुजात बुखारी ने भी शिरकत की थी और उनकी बातें अलगाववादी समूहों को रास नहीं आयी। महमूद के पोस्ट के मुताबिक, बुखारी की राय घाटी के अलगाववादियों और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल की अध्यक्षता करनेवाले सीनियर जमियत और हिजबुल मुजाहिदीन नेता सैयद सलाहुद्दीन को पसंद नहीं आई।


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