श्रमिकों को भेजने सरकार बसों का इंतजाम कराएगी
भोपाल । जानलेवा कोरोना वायरस से बचाव को लेकर जारी लॉकडाउन के चलते श्रमिक लोग फंस गए हैं। ऐसे श्रमिकों को प्रदेश में एक जिले से दूसरे जिले भेजने के लिए सरकार बसों का इंतजाम कराएगी। प्रदेश के बाहर फंसे श्रमिकों को वापस लाने के लिए ई-पास जारी किए जाएंगे। गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश द्वारा वहां की बसों से मजदूरों को प्रदेश की सीमा तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है। राज्य के भीतर वाहन का इंतजाम कलेक्टर परिवहन विभाग के माध्यम से बस किराए पर लेकर कराएंगे। एक सीट पर एक ही श्रमिक बैठाया जाएगा और सैनिटाइजर की व्यवस्था भी रखी जाएगी। स्थानीय स्तर पर भी श्रमिकों को गांव तक पहुंचाने के लिए वाहन व्यवस्था कराई जाएगी। जो लोग अपने संसाधन से वापस जाना चाहते हैं, उन्हें ई-पास दिया जाएगा लेकिन इंदौर, भोपाल और उज्जैन में यह सुविधा नहीं दी जाएगी। स्टेट कंट्रोल रूम के प्रभारी अपर मुख्य सचिव आईसीपी केशरी ने सभी संभाग आयुक्त, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार ने तय किया है कि लॉकडाउन के कारण अन्य राज्य और जिलों में रोके गए अन्य जिलों के श्रमिकों को उनके घर भिजवाया जाएगा। इसके लिए दोनों जिलों के कलेक्टरों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। अन्य राज्यों में जो श्रमिक फंसे हैं और प्रदेश आना चाहते हैं, उनकी जानकारी कलेक्टरों को राज्य कंट्रोल रूम में देनी होगी। मैपआइटी द्वारा संधारित ई-पास व्यवस्था के लिए चलाए जा रहे पोर्टल में इनका पंजीयन किया जाएगा। जब भी प्रदेश के बाहर से मजूदर आएंगे, उनके स्वास्थ्य परीक्षण, भोजन और विश्राम की व्यवस्था जिला प्रशासन को करनी होगी। सीमावर्ती जिलों को आरटीओ के माध्यम से बसें उपलब्ध कराई जाएंगी। जिले में पहुंचने पर फिर संबंधित व्यक्ति की जांच होगी। इसी तरह एक जिले से दूसरे जिले श्रमिक को भिजवाने के लिए कलेक्टर परिवहन विभाग के माध्यम से बस किराए पर लेकर उन्हें भिजवाएंगे। इस दौरान भोजन आदि पर होने वाला खर्च आकस्मिकता निधि से कलेक्टर करेंगे। बसों का भुगतान क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी द्वारा तय दर पर तत्काल किया जाएगा। हर बस में एक श्रमिक, जिसके पास मोबाइल फोन हो, उसे समूह का नेतृत्वकर्ता बनाया जाएगा और उसका नंबर कंट्रोल रूम को दिया जाएगा। हर श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद यदि कोई अस्वस्थ्य पाया जाता है तो उसे उसी जिले में रखा जाएगा।