संतों और महापुरूषों के कर्मों एवं विचारों की सुगंध कभी नष्ट नहीं होती : महंत रामकिशन
इन्दौर । महापुरूषों के कर्मों और विचारों की सुगंध कभी नष्ट नहीं होती। संत और विद्वान किसी समाज या संप्रदाय के नहीं, समूची मानवता के पक्षधर होते हैं। भारत भूमि का पुण्य प्रताप इन्हीं संतों और महापुरूषों के कारण शाश्वत एवं सनातन बना हुआ है। संत लादूनाथ एक कर्मयोगी, त्यागी और समर्पण के प्रतीक ऐसे महापुरूष रहे, जिनके बताए मार्ग पर चलकर आज भी समाज के प्रत्येक वर्ग का उद्धार संभव है।
ये प्रेरक विचार हैं, महाप्रचंड हनुमान मंदिर गुरूआश्रम के महंत रामकिशन महाराज के, जो उन्होंने बीती रात एमओजी लाईन्स, माली मोहल्ला स्थित महाप्रचंड हनुमान मंदिर गुरूआश्रम पर मालवा, निमाड़, मारवाड़ एवं मेवाड़ अंचल के तपोनिष्ठ संत लादूनाथ महाराज के 25 वें बरसी महोत्सव पर आयोजित भक्ति रसधारा एवं सत्संग कार्यक्रम में व्यक्त किए। संतश्री लादूनाथ महाराज गुरू आश्रम न्यास समिति एवं भक्त मंडल के तत्वावधान में तीन दिवसीय महोत्सव के दूसरे दिन संपन्न हुए कार्यक्रमों में छ.ग. के संत शांतिदास के विशेष आतिथ्य में नागोर (राज) से पधारी साध्वी सीताबाई ने गुरूवंदना सहित अनेक भजनों की प्रस्तुतियां दी, वहीं भजन गायक बद्रीलाल सियोटा, ब्रजलाल, प्रकाश, बाबूलाल प्रजापति, रमेशचंद्र सियोटा एवं उनकी मंडली ने भी मनोहारी भजनों से उपस्थित संतों और भक्तों को भावविभोर बनाए रखा। इस अवसर पर मालवा, निमाड़ एवं मारवाड़ के अंचलों से आए तपस्वी साधु संतों ने भी संत लादूनाथ के चित्र पर पुष्पांजलि समर्पित की। इनमें कैलाश टेकरी के संत अवधकिशोरदास, बड़वाह के संत गोपालदास सहित अनेक संत शामिल थे। प्रारंभ में भक्त मंडल की ओर से विजय अग्रवाल, संजय जैन, रोहित सियोटा, विनोद प्रजापति, सत्यनारायण जाट, दामोदर सुईवाल आदि ने सभी संतों की अगवानी की। इसके पूर्व सुबह आश्रम स्थित संत लादूनाथ सहित महाप्रचंड हनुमान मंदिर स्थित सभी दिव्य प्रतिमाओं का मनोहारी पुष्प श्रृंगार किया गया।संचालन संजय जैन ने किया और आभार माना योगेश सुईवाल ने।