सीरिया में ‘केमिकल अटैक’, बच्चों समेत 100 लोगों के मरने की खबर
दमिश्क
पश्चिमोत्तर सीरिया के इदलिब प्रांत में मंगलवार को एक 'रासायनिक हमले' में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है। मरने वालों में एक दर्जन से ज्यादा बच्चे बताए जा रहे हैं। हमले की चपेट में आने से 400 लोग बीमार हैं। सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) ने बताया कि हमला इदलिब प्रांत के खान शयखुन कस्बे में हुआ। उधर, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस हमले के लिए सीरिया के राष्ट्रपति बसर-अल-असद को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, दूसरी तरफ सीरिया की सेना ने इसे विद्रोहियों का काम करार दिया है।
मेडिकल टीम के अनुसार, ऐसा लगता है कि है कि लोगों की मौत दम घुटने से हुई। सीरिया में विपक्षियों की उच्चस्तरीय वार्ता समिति ने ट्विटर पर दावा किया कि इस हमले में करीब 100 लोगों की मौत हुई। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमले के लिए इस्तेमाल किए गए विमान सीरियाई थे या सरकार के सहयोगी रूस के।
इससे पहले मंगलवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा गया था कि क्लोरीन गैस वाले चार थर्मोबेरिक बम गिराए गए। रासायनिक हमले की यह रिपोर्ट सीरिया के भविष्य को लेकर ब्रसेल्स में दो दिवसीय सम्मेलन शुरू होने से पहले आई है, जिसका आयोजन यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र की मेजबानी में हो रहा है।
इतना भयानक था मंजर
इदलिब मीडिया सेंटर से जुड़े फटॉग्रफर हुसैन ने न्यूज एजेंसी AP को बताया कि वह स्थानीय समय 06:30 पर तेज धमाकों की आवाज से उठे। जब वह मौके पर पहुंचे तो वहां कोई गंध नहीं थी। उन्होंने देखा कि लोग जमीन पर पड़े हुए हैं और चल पाने की स्थिति में नहीं थे। इदलिब में चैरिटी ऐम्बुलेंस सर्विस के मुखिया मोहम्मद रूसूल ने बीबीसी को बताया कि उनके डॉक्टरों ने बहुत से लोगों और बच्चों को गलियों में दम घुटते हुए पाया।
सीरिया की सेना का इनकार
सीरिया की सेना ने रासायनिक हमले से साफ इनकार किया है। न्यूज एजेंसी SANA ने आर्मी कमांड के हवाले से कहा है कि सेना ने किसी तरह के रासायनिक हथियार का इस्तेमाल नहीं किया है। सेना की ओर से यह भी कहा गया है कि उसने ना तो पहले कभी रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया और ना ही भविष्य में ऐसा करेगी। सेना ने विद्रोहियों पर ठीकरा फोड़ा है।
फ्रांस ने सीरिया सरकार को बताया जिम्मेदार
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया के राष्ट्रपति बसर-अल-असद को जिम्मेदार ठहराया है। फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इस नरसंहार के लिए बसर अल असद को जिम्मेदार ठहराया। ओलांद की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'एक बार फिर सीरिया की सरकार नरसंहार की जिम्मेदारी और सबूतों से इनकार करेगी।' फ्रांस ने इस हमले पर यूनाइटेड नेशंस सिक्यॉरिटी काउंसिल की इमर्जेंसी बैठक बुलाने की अपील की है। ब्रिटेन के विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने कहा कि यदि यह साबित होता है कि इस हमले के पीछे बसर-अल असद सरकार है तो वह वॉर क्राइम के दोषी होंगे।
वाइट हाउस की ओर से कहा गया है कि उसे विश्वास है कि इस अटैक के पीछे बसर-अल-असद की सरकार है। वाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने बसर-अल-असद सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि सीरिया के लोगों के हित यही होता कि बसर-अल-असद पद छोड़ देते। संयुक्त राष्ट्र संघ ने हमले की जांच शुरू किए जाने की बात कही है।
इजरायल की नाराजगी
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इस घटना पर दुख और आक्रोश प्रकट किया है। उन्होंने सीरिया को रासायनिक हमलों से मुक्त करने के लिए विश्व समुदाय को ऐक्शन लेने को कहा है। ट्विटर पर उनकी ओर से कहा गया, 'जब मैंने सीरिया में केमिकल अटैक से बच्चों के दम घुटने की तस्वीरें देखीं तो मैं हैरान और दुखी हुआ।'