सुन्नी वक्फ बोर्ड ने केस टालने के लिए चली है ये नई चाल: विनय कटियार

लखनऊ. राम जन्‍मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram janam bhumi-babri masjid) में उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड (UP Sunni Central Waqf Board) के केस वापस लेने की खबर आने के बाद तरह-तरह के रिएक्शन आने लगे हैं. मामले में बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने जहां साफ कर दिया कि सुन्नी बोर्ड के कदम पर कोर्ट फैसला लेगा, पर वह अपनी बात पर कायम हैं. वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय कटियार (Vinay Katiyar) ने कहा है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दरअसल केस टालने के लिए ये नई चाल चली है.

'सुन्नी बोर्ड चाहता है वर्तमान CJI का कार्यकाल समाप्त हो जाए'

विनय कटियार ने न्यूज 18 से बातचीत में कहा कि बोर्ड को चाहिए कि वह बिना शर्त राम मंदिर की जमीन छोड़ें. यही नहीं राम मंदिर का निर्माण कराने अयोध्या आएं. विनय कटियार ने साथ ही कहा कि दरअसल सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले को टालना चाहता है. वह चाहता है कि वर्तमान चीफ जस्टिस का कार्यकाल समाप्त हो जाए और इस मामले में नया पैनल आ जाए. ये सुन्नी बोर्ड की नई चाल है, पूरा मामला टालने के लिए है और कुछ नहीं है. बता दें सुन्नी बोर्ड ने इस मामले में दायर केस को वापस लेने का फैसला किया है. वक्‍फ बोर्ड ने मध्‍यस्‍थता पैनल के जरिये इस बाबत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा (Affidavit) दाखिल किया है.

सभी को अपनी बात रखने का है अधिकार: इकबाल अंसारी

उधर बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट उनके पत्र को स्वीकार करता है या नहीं? ये कोर्ट पर निर्भर करता है. इकबाल के अनुसार हमारे वकील ने कहा है कि अभी ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, जब आएगी तो देखेंगे. इकबाल अंसारी ने कहा कि सबको अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन अदालत फैसला अपने तरीके से साक्ष्यों के आधार पर करेगी. उन्होंने कहा कि अगर मध्यस्थता कमेटी के माध्यम से कोई पत्र आता है तो उस पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा, यह सुप्रीम कोर्ट का विषय है.

बताया जा रहा है कि सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड ने हलफनामा दाखिल करने से पहले अपने वकीलों से सलाह-मश‌विरा भी नहीं किया. हलफनामे में सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह अपना केस वापस लेना चाहता है. हलफनामा श्रीराम पंचू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है. वहीं मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब किसी भी तरह के हस्तक्षेप की अर्जी को स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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