सुप्रीम कोर्ट ने 150 साल पुराने एडल्टरी कानून को किया खारिज, कहा- यह बराबरी के हक के खिलाफ

देश के 150 साल पुराने एडल्टरी लॉ पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में महिला और पुरुष दोनों को बराबरी का अधिकार दिया गया है. सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि महिलाओं को समाज के हिसाब से सोचने के लिए नहीं कहा जा सकता है.

अपना और जस्टिस एम खानविलकर का फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा, 'लोकतंत्र की खूबसूरती है मैं, तुम और हम.' उन्होंने कहा, "हर किसी को बराबरी का अधिकार है और पति पत्नी का मास्टर नहीं है."

जस्टिस मिश्रा ने कहा, मूलभूत अधिकारों में महिलाओं के अधिकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए. एक व्यक्ति का सम्मान समाज की पवित्रता से अधिक जरूरी है. महिलाओं को नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें समाज के हिसाब से सोचना चाहिए.

क्या है एडल्टरी या धारा 497?धारा 497 केवल उस पुरुष को अपराधी मानती है, जिसके किसी और की पत्नी के साथ संबंध हैं. पत्नी को इसमें अपराधी नहीं माना जाता. जबकि आदमी को पांच साल तक जेल का सामना करना पड़ता है. कोई पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, लेकिन उसके पति की सहमति नहीं लेता है, तो उसे पांच साल तक के जेल की सज़ा हो सकती है. लेकिन जब पति किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाता है, तो उसे अपने पत्नी की सहमति की कोई जरुरत नहीं है.

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