सेना का चीनी सीमा के पास गांव खाली कराने से इनकार

नई दिल्ली . डोकलाम विवाद के चलते भारत और चीन की सेनाएं पिछले करीब दो महीने से आमने-सामने हैं। इस बीच खबर आई कि सीमा पर तनाव के चलते भारतीय सेना ने आस-पास के गांवों को खाली कराना शुरू कर दिया है। हालांकि सेना ने इस बात से इनकार किया।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से तिब्बत में अधिक संख्या में सैनिक और टैंकों के अलावा तोपखाना और एयर डिफेंस यूनिट में 'कुछ इजाफा' किया जा रहा है लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर ऐसी कोई लामबंदी नजर नहीं आ रही जिसे भारतीय सुरक्षा बलों के लिए कोई खतरे की घंटी के रूप में देखा जाए।

सूत्र ने कहा, 'हमारी सीमा की ओर पीएलए की किसी भी लामबंदी में एक सप्ताह लगता है इसलिए इसे पहचाना जा सकता है। परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ हमारे सैनिकों के पास तोपखाने, रॉकेट और अन्य भारी-क्षमता के हथियारों का मजबूत आधार है। हमारे सैनिक फिलहाल 'ना युद्ध, ना शांति' की परिस्थिति में हैं। आवश्यकता पड़ने पर वे तेजी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।'

भूटान के डोकलाम इलाके में चीन की सेना ने जून में पक्की सड़क बनाने का काम शुरू किया। इसके बाद से ही भूटान-भारत-चीन के इस ट्राए-जंक्शन में तनाव की स्थिति बनी हुई है। तनाव को कम करने के लिए कूटनीतिक रास्ते भी अपनाए जा रहे हैं। एक अन्य सूत्र ने कहा, 'शुक्रवार को नाथु ला में दोनों देशों के सीमा अधिकारियों की बैठक हो सकती है।'  इस बीच सेना ने इन खबरों का खंडन किया कि तनाव के चलते सिक्किम के नजदीक सीमा के कुछ गांवों और बस्तियों जैसे कुपुप, नाथांग और जुलुक को खाली करवाया जा रहा है। सूत्र ने कहा, 'कोई गांव खाली नहीं करवाया गया है। न ही सेना का उद्देश्य किसी गांव को खाली करवाने का है। बिना बात का डर नहीं फैलाया जाना चाहिए।'

लेकिन इसके बावजूद सेना ने लद्दाख ने लेकर अरुणाचल प्रदेश तक करीब 4057 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूरी तरह मुस्तैद है। एक अन्य सूत्र ने कहा, 'सिक्किम ट्राए-जंक्शन एरिया में हमारे सैनिक बेहतर पोजिशन पर हैं इसलिए सैन्य दृष्टि से देखें तो चीन किसी अन्य सेक्टर में कुचेष्टा कर सकता है, अगर वाकई वह ऐसा करना चाहता है तो।

सूत्र ने कहा, 'चीन जहां लगातार भारत पर दबाव बना रहा है वहीं भारतीय सेना भी एहतियात के तौर पर खुद को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार कर रही है।' हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया था कि करीब 2500 सैनिकों को पूरी अभ्यास के साथ सिक्किम जुलुक और नाथंग घाटी की ओर जुलाई की शुरुआत में ही रवाना कर दिया था। ये सैनिक राज्य के उत्तर-पूर्वी हिस्से में पहले से ही मौजूद 6000 सैनिकों के साथ तैनात किए गए।

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