हमें 6 दिसंबर 1992 के पहले जैसा अयोध्या चाहिए, सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की मांग
नई दिल्ली । देश की सर्वोच्च अदालत में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के आखिरी दौर की सुनवाई चल रही है। अदालत में मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील राजीव धवन ने सोमवार को अपनी दलीलें रखीं। अपनी दलीलें रखते वक्त राजीव धवन ने कहा कि हमें (मुस्लिम पक्ष) 5 दिसंबर 1992 जैसा अयोध्या चाहिए, जो बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले का था। सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि हम हमेशा ये नहीं सोच सकते हैं कि 1992 नहीं हुआ। अदालत में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील रखे जाने का सोमवार को आखिरी दिन है। इस मामले की सुनवाई 17 अक्टूबर को खत्म होनी है, 14 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष की दलील खत्म करनी है। 15-16 अक्टूबर को हिंदू पक्ष को अपने तर्क रखने हैं।
गौरतलब है कि सोमवार को जब अयोध्या मसले पर सुनवाई शुरू हुई तो राजीव धवन ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील रखीं। राजीव धवन ने अदालत में कहा कि श्रद्धा से जमीन नहीं मिलती है, स्कन्द पुराण से अयोध्या की जमीन का हक नहीं मिलता है। हिंदू पक्ष लगातार अदालत में श्रद्धा और पुराणों का जिक्र कर रहा है। इसके अलावा राजीव धवन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कई सवाल खड़े किए गए, उन्होंने अदालत में कहा कि आप हमेशा हमसे (मुस्लिम पक्ष) से सवाल करते हैं, जबकि उनसे (हिंदू पक्ष) से सवाल नहीं पूछे जा रहे हैं। हालांकि, अदालत की ओर से इस किसी तरह की टिप्पणी नहीं की गई।
क्या हुआ था 6 दिसंबर 1992 को? –
’90 के दशक की शुरुआत में जब भारतीय जनता पार्टी ने राममंदिर रथयात्रा निकाली तो देश में राजनीति गर्मा गई थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में भारी सुरक्षा के बीच भाजपा नेताओं की अगुवाई में भीड़ बाबरी मस्जिद के ढांचे की तरफ बढ़ रही थी, हालांकि पहली कोशिश में पुलिस इन्हें रोकने में कामयाब रही थी। लेकिन अचानक दोपहर में 12 बजे के कारसेवकों का एक बड़ा जत्था मस्जिद की दीवार पर चढ़ने लगा। लाखों की भीड़ में कारसेवक मस्जिद पर टूट पड़े और कुछ ही देर में मस्जिद को कब्जे में ले लिया। जिसके बाद जो हुआ वो पूरे देश ने देखा और इतिहास बन गया।