हरियाणा विस चुनावः आखिरी दौर में रोमांचक हुआ मुकाबला, टीम मनोहर के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
आखिरी दौर में हरियाणा का विधानसभा चुनाव खासे रोमांचक मोड़ पर पहुंच गया है। एक तरफ भाजपा का आक्रामक चुनाव प्रचार और ‘75 पार’ का लक्ष्य हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी समेत विरोधियों की चुनावी रणनीति है। इनेलो भी खुद को कमत्तर नहीं आंक रही है। ऐसे में कुछ सीटों पर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है, तो वहीं कई सीटें ऐसी भी हैं, जहां मुकाबला त्रिकोणीय (भाजपा- कांग्रेस-जजपा) बन चुका है। करीब दो दर्जन सीटें तो ऐसी हैं, जहां कांटे की टक्कर है। इन सीटों पर मुकाबला बेहद कड़ा और दिलचस्प बना हुआ है।
अब ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा और टीम मनोहर के लिए उनका चुनावी लक्ष्य ‘75 पार’ बड़ी प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। लेकिन इस बावजूद भाजपाई पूरे उत्साह के साथ अपने इस लक्ष्य को पाने का दावा कर रहे हैं। दरअसल, मई 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की शानदार परफोरमेंस को देखते हुए भाजपा ने हरियाणा में भावी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह लक्ष्य सेट किया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा में दस की दस सीटें फतेह की थी। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके तीन बार के लगातार सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा तक सीट नहीं बचा पाए थे।
लोकसभा चुनाव परिणाम की जब समीक्षा की गई तो प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 79 सीटों पर बढ़त मिली थी। इसी परफोरमेंस से गदगद हरियाणा भाजपा ने अक्टूबर 2019 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की प्रारंभिक तैयारियां शुरू करते हुए इस बार चुनाव में अपना लक्ष्य ‘75 पार’ तय किया। इसे एक मिशन का नाम देते हुए कहा गया था कि इस बार भाजपा विधानसभा चुनाव में रिकार्ड 75 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करेगी। मगर देखा जाए, तो लोकसभा चुनाव का माहौल और था, मुद्दे और थे और सियासी फिजां भी और थी।
मगर अब विधानसभा चुनाव की मौजूदा सियासी परिस्थितियों में माहौल, मुद्दे और फिजां लोकसभा चुनाव से कुछ परे है। इन परिस्थितियों में बाजी जीतते हुए अपने इस मिशन को पूरा करना टीम मनोहर के लिए वाकई बड़ी चुनौती है।
पहले सीएम मनोहर ने बनाया माहौल
भाजपा का चुनावी मिशन वाकई बड़ा है, लेकिन इस मिशन को लेकर अभी तक भाजपा का उत्साह भी कम नहीं दिख रहा है। सबसे पहले प्रदेश में इस लक्ष्य की हवा बनाने का काम सीएम मनोहर लाल ने अपने कंधों पर लिया। विधानसभा चुनाव की हुंकार भरते हुए सीएम मनोहर लाल ने इसी लक्ष्य पर केंद्रित ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ की शुरूआत की।
अपनी इस रथ यात्रा में हलका-दर-हलका सीएम ने पूरा प्रदेश नापा। अपने साथ हर हलके का रिपोर्ट कार्ड ले सीएम मनोहर लाल सभी विधानसभा क्षेत्रों में गए और वहां जनसभाओं के जरिए लोगों को बताने का प्रयास किया कि किस तरह सतारूढ़ भाजपा सरकार ने अपनी ‘हरियाणा एक-हरियाणवी एक’ सोच के साथ प्रदेश में समान विकास करवाने का प्रयास किया है।
उसके बाद सीएम ने अपने ‘75 पार’ लक्ष्य की जानकारी भी जनता की समक्ष रखते हुए उनसे इसकी प्राप्ति के लिए जन आशीर्वाद की मांग की। उसकेबाद जब विधानसभा चुनाव का दौर शुरू हुआ तो सीएम मनोहर लाल समेत उनके सभी विधायकों व मंत्रियों की टीम इस लक्ष्य को पाने के लिए निकल पड़ी। आज सीएम मनोहर लाल समेत उनकी टीम इसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है।
अब राष्ट्रीय नेता संभाल मिशन की बागडोर
टीम मनोहर के बाद अब इस मिशन की बागडोर भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने भी संभाल ली है। हरियाणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत बीस से अधिक राष्ट्रीय स्तरीय नेता ऐसे हैं, जो बतौर स्टार प्रचार हरियाणा में आकर हरियाणा भाजपा को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने में पसीना बहा रहे हैं। मोदी और शाह जैसे बड़े चेहरे भी इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए पूरी जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं।
नतीजतन, प्रदेश में पहले प्रस्तावित मोदी की चार रैलियों को बढ़ाकर अब सात कर दिया गया है। जबकि अमित शाह भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रैलियां कर रहे हैं। स्मृति ईरानी, राजनाथ सिंह, सन्नी दओल, योगी आदित्यनाथ, नितीन गडकरी, रवि शंकर प्रसाद, हंसराज हंस, संबित पात्रा समेत बीजेपी के अन्य कई बड़े नेता भी इसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए हरियाणा के रण में सक्रिय है। अब देखना यह है कि हरियाणा के इस दंगल में भाजपा के इन बड़े नेताओं का दम दोबारा टीम मनोहर को विधानसभा की चौखट तक पहुंचाता है या नहीं।
आखिर में विरोधी भी दम दिखाने में जुटे
भले ही देरी से सही कांग्रेस चुनाव के आखिरी दौर में बेहतर करने को शिद्दत से जुटी हुई है। बिखरी कांग्रेस को सीएलपी लीडर एवं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कुछ हद तक समेटने का प्रयास किया है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर भले ही कांग्रेस कैंप से बाहर हो गए हैं। लेकिन सैलजा और हुड्डा का दावा है कि तंवर की बगावत से फिलहाल कांग्रेस को कोई नुकसान होता नहीं दिख रहा है। इसी के चलते कई सीटों पर कांग्रेस ने मुकाबला टफ बना दिया है।
उधर, कांग्रेस के बागी अशोक तंवर का अब खुलकर जजपा और इनेलो को समर्थन में आने के बाद कुछ सीटों के समीकरण बदल सकते हैं। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में इसका असर हो सकता है। इसके अलावा चुनाव के आखिरी दौर में जननायक जनता पार्टी (जजपा) भी पूरी जोर आजमाइश के साथ मतदाताओं का आशीर्वाद पाने को बेताब है। करीब पंद्रह से सोलह सीटों पर जजपा ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है और इस वक्त टीम दुष्यंत पूरी तरह उत्साह से लबरेज है। उधर, चुनाव के आखिरी दौर में इंडियन नेशनल लोकदल भी समीकरणों को बदलने में प्रयासरत है। अपनी ताकत कुछ सीटों तक समेटते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला इसके लिए जोर लगा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में हमने 300 पार का नारा दिया था और जनता के आशीर्वाद से उसे हासिल किया। इसी तरह हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हमने 75 पार का नारा दिया है। यह भी जन आशीर्वाद से ही पूरा होगा। हरियाणा में हमने न केवल सिस्टम में बड़ा सुधार किया है, बल्कि पूर्व सरकारों कीनौकरियों, जमीनों व तबादलों की धांधलियों को भी खत्म करते हुए सूबे में एक पारदर्शी माहौल दिया है। आज प्रदेश में नौकरियां किसी की जाति, समाज या बिरादरी जानकर नहीं दी जाती, बल्कि अभ्यर्थी युवा अपनी योग्यता के बूते नौकरी पाता है। लोकसभा चुनाव में हरियाणा की जनता ने जो प्यार दिखाया, उसी से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा और हमने हरियाणा में यह लक्ष्य निर्धारित किया। हम तो सिर्फ मेहनत कर रहे हैं, इस लक्ष्य को पार लगाने वाली तो जनता है और निसंदेह जनता का प्यार व आशीर्वाद इस बार भी भाजपा के साथ है। इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।
– संबित पात्रा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा