हरियाणा विस चुनावः कुलदीप बिश्नोई के सामने 52 साल का पारिवारिक गढ़ आदमपुर बचाने की चुनौती

हरियाणा गठन के बाद से वर्ष 2014 तक हुए विधानसभा के 12 चुनाव में से 11 बार से लगातार बिश्नोई परिवार के वर्चस्व वाली आदमपुर सीट इस बार हॉट सीट बनी हुई है। यहां से 1967 के पहले चुनाव में हरिसिंह जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद से इस सीट पर भजनलाल परिवार का दबदबा आज तक कायम रहा।
इस बार अपना पारिवारिक गढ़ बचाने के लिए पूर्व सीएम स्व. भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई को न केवल जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ रही है, बल्कि वे अपने परिवार सहित आदमपुर में पिछले तीन माह से डेरा डाले हैं। उनकी मुश्किलें भाजपा ने यहां से सेलिब्रेटी सोनाली फौगाट को उतारकर बढ़ा दी हैं।

लोकसभा में हार के बाद हलके में तीन माह पहले कूदे कुलदीप
करीब 5 माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई ने अपने पुत्र भव्य बिश्नोई को हिसार सीट से मैदान में उतारा था। हलकावार वोटों का आकलन करें तो भव्य बिश्नोई अपने पारिवारिक गढ़ से भी हार गए थे। उन्हें आदमपुर सीट से 35895 वोट मिले थे, जबकि भाजपा को यहां से 59122 मत हासिल हुए थे।

इसके बाद से कुलदीप बिश्नोई की रातों की नींद उड़ गई थी और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने पारिवारिक गढ़ को बचाने के लिए उन्होंने दो माह बाद ही आदमपुर हलके में डेरा डाल दिया था। पिछले करीब तीन माह से हलके के लोगों से रूबरू हो रहे हैं और लगातार कैंपेन चलाए हुए हैं। कुलदीप बिश्नोई हलके में जो मेहनत कर रहे हैं, उसका परिणाम 24 अक्तूबर को चुनाव के नतीजे आने पर ही पता चलेगा।

गढ़ बचाने की चिंता, पत्नी की हांसी सीट भी छोड़ी
कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में हांसी से विधायक बनीं थीं। इस बार कुलदीप को 52 साल से उनका पारिवारिक गढ़ रही आदमपुर सीट को बचाने की चिंता है और न केवल वे स्वयं, बल्कि उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई और पुत्र भव्य बिश्नोई भी उनके साथ हलके में ही डट गए हैं। लेकिन एक परिवार से इतने लोगों को टिकट संभव नहीं था। क्योंकि कुलदीप के भाई चंद्रमोहन भी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं।

भाजपा ने सोनाली को टिकट दे सबको चौंकाया
दूसरी ओर भाजपा ने इस सीट से अप्रत्याशित प्रत्याशी मैदान में उतारा। सोनाली फौगाट बॉलीवुड सेलिब्रेटी हैं और टिक-टॉक से मशहूर हैं। उनका नाम बरवाला हलके से चल रहा था,  लेकिन भाजपा ने उन्हें आदमपुर की टिकट देकर सबको चौंका दिया। वे सेलिब्रेटी हैं और भीड़ भी उनके पीछे जुट रही है। हालांकि राजनीति के जानकार उन्हें प्रभावशाली नहीं मान रहे, साथ ही यह भी कह रहे हैं कि भाजपा की लहर में उलटफेर से इनकार नहीं किया जा सकता।

कुलदीप बिश्नोई के प्लस-माइनस प्वाइंट
माइनस प्वांट्स-
1. हलके के लोगों की नाराजगी
2. लोकसभा चुनाव में हलके से 23 हजार से अधिक मतों से हार
3. कांग्रेस का भितरघात और विरोधी पार्टी की लहर
प्लस प्वाइंट्स-
1. तीन माह पहले से ही लोगों के बीच पहुंचकर डैमेज कंट्रोल करना
2. ईडी की छापामार कार्रवाई से हलके के लोगों का भावनात्मक जुड़ाव होना
3. प्रदेश या दूसरे हलकों के मुकाबले आदमपुर में कांग्रेस के भीतरघात का असर न होना
सोनाली फौगाट के प्लस-माइनस प्वाइंट्स
माइनस प्वाइंट्स
1. सेलिब्रेटी के तौर पर अधिक, राजनीतिक रूप में पहचान कम
2. आदमपुर की बजाय नलवा में अधिक पहचान, बाहरी प्रत्याशी होने का ठप्पा होना
3. आदमपुर से टिकट की दौड़ में रहे भाजपा के अन्य नेताओं से भीतरघात का भय
प्लस प्वाइंट्स
1. भाजपा की लहर का फायदा
2. सेलिब्रेटी होने के चलते भीड़ जुटाने के लिए मेहनत की आवश्यकता नहीं
3. समर्थन में भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह की प्रस्तावित आदमपुर रैली
1968 से भजनलाल के कब्जे वाली सीट
आदमपुर सीट पर पहली बार हुए चुनाव में हरिसिंह विजयी हुए थे। उसके बाद 1968, 1972, 1977 और 1982 में लगातार चार बार भजनलाल जीतकर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद 1987 में हुए चुनाव में यहां से भजनलाल की धर्मपत्नी जसमा देवी विधायक बनीं। उसके बाद फिर से भजनलाल लगातार चार बार 1991, 1996, 2000 और 2005 में चुनाव जीते। वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव से कुलदीप बिश्नोई इस सीट से विधायक बनते आ रहे हैं।

इस बार ये है चुनाव की स्थिति
छह प्रमुख पार्टियों की बात करें तो भाजपा की सोनाली फौगाट और कांग्रेस से कुलदीप बिश्नोई के अलावा इनेलो से राजेश गोदारा, जजपा से रमेश कुमार और बसपा से सतबीर छिंपा चुनाव मैदान में हैं। लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी ने यहां से अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है।

आदमपुर हलका विकास के मामले में काफी पिछड़ गया है। इसका मुख्य कारण यही है कि पिछले 20 सालों से भी अधिक समय से लगातार विपक्षी हलका रहा है। इसके चलते यहां विकास बेहद कम हुआ है। हलके का नेतृत्व करने वालों ने भी हमेशा मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने के चक्कर में जमीनी मुद्दों पर काम नहीं किया। ऐसे जनप्रतिनिधि की जरूरत है, जो गली-मोहल्लों की समस्याओं से लेकर रोजगार के मुद्दों पर काम कर सके।
– जीत भदरेचा, व्यवसायी, आदमपुर।

आदमपुर हलके में जितना भी विकास हुआ है, यह सब पूर्व सीएम स्व. भजनलाल की देन है। उनके जाने के बाद हलके के विकास की रफ्तार रूक गई। बाद में जनता ने कुलदीप बिश्नोई को विधायक बनाया। मगर वह विपक्ष में रहने के कारण कोई बड़ा बदलाव नहीं कर सके। आदमपुर को उपमंडल बनाने की सख्त जरूरत है ताकि छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी 40 किलोमीटर दूर हिसार न जाना पड़े।
– विनोद राठौड़, युवा, आदमपुर।

आदमपुर हलके को ऐसे जनप्रतिनिधि की जरूरत है, जो इसकी मूलभूत समस्याओं का प्रमुखता से समाधान करवा सके। मौजूदा नेताओं ने इसे सिर्फ राजनीति का अखाड़ा बनाकर छोड़ दिया है। यहां के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। सीवरेज व पेयजल समस्या बनी हुई है। सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है। युवा नशे की चपेट में आ रहा है।

 

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