हरियाणा विस चुनावः मनेठी एम्स को लेकर चरम पर सियासत, कांग्रेस ने आश्वासनों को बताया जुमला
हरियाणा के मनेठी में एम्स की स्थापना का मुद्दा चुनावी फिजा में भी तैर रहा है। प्रचार के दौरान दक्षिण हरियाणा में एम्स को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। भाजपा, कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। एम्स पर सियासत तो लंबे समय से होती आ रही है। केंद्र सरकार के एम्स मंजूर करने के बाद पहले इसका श्रेय लेने की होड़ भाजपाइयों में छिड़ी, जिसमें केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत आगे रहे। चूंकि, वह एम्स को लेकर लंबे समय से संघर्षरत थे। प्रदेश सरकार ने इसका श्रेय मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दिया, चूंकि 7 जुलाई 2015 को सीएम ने बावल में जनसभा के दौरान एम्स की घोषणा की थी।
इसके बाद केंद्र सरकार ने 2019 के अंतरिम बजट में एम्स को मंजूरी दी थी। एम्स को लेकर मनेठी में ग्रामीण धरने पर भी बैठे थे। जिनके मुद्दे को राव इंद्रजीत समर्थन देते रहे। एम्स मंजूर तो हो गया, लेकिन इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। केंद्र से दौरा करने आई विशेषज्ञों की टीम ने मनेठी को एम्स के लिए उचित नहीं पाया। जिससे मुद्दा राजनीतिक रंग ले गया। कांग्रेस ने भाजपा पर जनता को बरगलाने के आरोप लगाए। जबकि, भाजपा की ओर से सीएम मनोहर लाल व राव इंद्रजीत ने साफ किया कि एम्स बनेगा और मनेठी व इसके आसपास ही बनेगा।
मगर, अभी तक धरातल पर कोई प्रगति नहीं हो पाई है। दक्षिण हरियाणा में चुनावी जनसभाओं के दौरान सीएम मनोहर लाल एम्स बनाने का आश्वासन दे रहे हैं, जो कांग्रेस को नाग्वार गुजर रहा है। सीएम के आश्वासनों पर कांग्रेस की ओर से प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने पलटवार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मनेठी एम्स पहले भी जुमला था और आज भी जुमला ही है। चुनावी सभाओं में भाजपा नेता जनता को ठग रहे हैं। एक तरफ मनेठी में एम्स बनाने का आश्वासन देते है, वहीं दूसरी ओर मेडिकल कालेज बनाने की बात भी कहते हैं।
लोकसभा चुनाव में गुरुग्राम, रोहतक, महेंद्रगढ़ की जनता से एम्स के बहाने भावनात्मक तौर पर वोट लिए गए। जबकि, लोकसभा चुनाव खत्म होते ही जून 2019 में मनेठी एम्स फिर जुमला हो गया। अब विधानसभा चुनावों में फिर से वोट पाने के लिए एम्स का आश्वासन दिया जा रहा है। विद्रोही ने सवाल उठाया कि 2014 के बजट में स्वीकृत माजरा श्योराज मेडिकल कालेज बीते पांच सालों से ठंडे बस्ते में क्यों पड़ा है।