10 दिसवीय सर्वोदय सम्यग्ज्ञान विद्या शिक्षण शिविर में होगा संस्कृति और संस्कारों का शंखनाथ
भोपाल। आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनिश्री अजितसागर महाराज एलक दयासागर महाराज, विवेकानन्द सागर महाराज के सानिध्य में 10 दिवसीय सर्वोदय सम्यग्ज्ञान विद्या शिक्षण शिविर 29 से 7 जून तक आयोजित किया जा रहा है। जिसमें सांगानेर राजस्थान से प्रशिक्षित विद्वान धार्मिक ज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और संस्कारों की रक्षा के लिए भारतीय पुरातत्व इतिहास का विशेष अध्ययन करायेंगे। पंचायत कमेटी के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने बताया 29 मई 2019 को प्रात: 7:00 बजे ध्वजारोहण के साथ शिक्षण शिविर प्रारंभ होगा। मंगल कलश स्थापना के साथ अनेक धार्मिक अनुष्ठान के साथ मुनिश्री का विशेष उद्बोधन होगा। दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित 10 दिवसीय सर्वोदय सम्यग्ज्ञान शिक्षण शिविर चौक जैन मंदिर के साथ-साथ राजधानी के अन्य मंदिरों में भी लगेगा।
आज चौक धर्मशाला धर्मसभा में मुनिश्री अजीत सागर महाराज ने कहा ज्ञानी जितना स्व के नजदीक हुआ करता है, उतना अपनी दृष्टि में पर से परे हुआ करता है। ज्ञान व अनुपम अमर घट है, जिसके सेवन से जन्म जरा मृत्यु का नाश हो जाता है, जो आत्म स्वभाव की ओर ले जाता है, वही ज्ञान होता है। समताभाव से सहजता में जो ज्ञान की वृद्धि हो जाये, वही सच्चा ज्ञान है। मुनिश्री ने कहा एक छोटा सा दीपक घनघोर अंधकार में भी व्यक्ति को भटकने से बचा लेता है, ठीक ठीस प्रकार थोड़ा समीचीन ज्ञान हमें संसार के दु:खों से बचाकर सुख की ओर अग्रसर करा देता है। ज्ञान पाने में कभी संकोच और आलस्य नहीं करना चाहिए। ज्ञान प्राप्ति की कोई उम्र निश्चित नहीं है। उत्साह के साथ ज्ञान की बातें ग्रहण कर चिन्तन मनन करते हुए सम्यक आचरण करना चाहिए।
एलक विवेकानंद सागर महाराज ने कहा आवेग और आवेश से बचकर सद्विचार सत्संगति, संयम इन तीनों को अपनायें तो मनुष्यता आपके अंदर हमेशा रहेगी। कर्म के उदय से शत्रु भी मित्र हो जाते हैं और मित्र भी शत्रु हो जाते हैं यही संसार का नियम है। जानकारी तो सामान्य होती है, वैसी अनुभूति होना आत्मज्ञान है।